आगरा की पच्चीकारी को मिला GI टैग, PM मोदी आज करेंगे प्रमाण पत्र प्रदान
आगरा। ताजमहल की बेमिसाल सुंदरता में चार चाँद लगाने वाली आगरा की पच्चीकारी को आज एक ऐतिहासिक पहचान मिलने जा रही है। इस अद्भुत शिल्पकला को GI टैग(Geographical Indication Tag) प्रदान किया गया है।

राजेश तौमर/ आकाश जैन
आगरा। ताजमहल की बेमिसाल सुंदरता में चार चाँद लगाने वाली आगरा की पच्चीकारी को आज एक ऐतिहासिक पहचान मिलने जा रही है। इस अद्भुत शिल्पकला को GI टैग(Geographical Indication Tag) प्रदान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आज वाराणसी में आयोजित भव्य समारोह में इस टैग का प्रमाण पत्र अपने हाथों से सौंपेंगे। इस अवसर पर हेंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (HEA) के अध्यक्ष एवं स्टोनमैन क्राफ्ट इंडिया के एमडी रजत अस्थाना और HEA के कोषाध्यक्ष एवं बालाजी हेंडीक्राफ्ट के निदेशक आशीष अग्रवाल को आमंत्रित किया गया है।
“HEA के अध्यक्ष रजत अस्थाना ने बताया कि आगरा को मिल रहे इस GI टैग का श्रेय HEA के सचिव डॉ. संतोष त्यागी को जाता है। उनके सतत प्रयासों और समर्पण से ही यह उपलब्धि संभव हो सकी है। दुर्भाग्यवश, वे स्वास्थ्य कारणों के चलते इस कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं।” पच्चीकारी को GI टैग दिलाने के लिए HEA के अध्यक्ष रजत अस्थाना और सचिव डॉ. संतोष त्यागी ने वर्षों तक अथक प्रयास किए। आज जब यह प्रयास रंग लाया है, तो आगरा के हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। सभी उन्हें इस सफलता के लिए बधाइयाँ दे रहे हैं।
पच्चीकारी को GI टैग मिलने से आगरा के पर्यटन और हस्तशिल्प उद्योग में उत्साह की लहर है। यह मान्यता न केवल शहर की ऐतिहासिक पहचान को वैश्विक स्तर पर मजबूती देगी,बल्कि स्टोन हैंडीक्राफ्ट्स से जुड़े हजारों कारीगरों और उद्यमियों के लिए नए व्यापारिक अवसरों के द्वार भी खोलेगी।
GI टैग क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
GI टैग (भौगोलिक संकेतक) किसी विशेष क्षेत्र से जुड़ी वस्तु को दिया जाता है जो उस क्षेत्र की विशिष्टता और गुणवत्ता को दर्शाता है।
यह टैग उत्पाद की बौद्धिक संपदा के रूप में पहचान करता है और उसकी कानूनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।
2024 तक भारत में 450 से अधिक उत्पादों को GI टैग मिल चुका है।
उत्तर प्रदेश में पहले 75 उत्पादों को यह मान्यता प्राप्त थी, अब नए 21 उत्पादों को शामिल किए जाने के बाद यह संख्या 96 हो जाएगी।
अब उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसके पास सर्वाधिक 96 जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या है।
पच्ची’ का अर्थ है जड़ना और ‘कारी’ का अर्थ है काम करना, इस प्रकार पच्चीकारी का मतलब है पत्थरों को जड़कर सजावट करना।इस कला में रंगीन पत्थरों को काटकर, तराशकर, चमकाकर संगमरमर या पत्थर की सतह पर जड़ा जाता है।ताजमहल इस अद्वितीय कला का विश्वविख्यात उदाहरण है, जो दुनियाभर से आने वाले पर्यटकों को मोहित करता है।आगरा के बाजारों में पच्चीकारी से बने ज्वेलरी बॉक्स, संगमरमर के स्मृति चिह्न, टेबल टॉप, गुलदस्ते, हाथी और पेंटिंग्स पर्यटकों को खूब लुभाते हैं।