
अमर सैनी
नोएडा। आबादी की जमीन तय करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अधिसूचित क्षेत्र के गांवों में नए सिरे से ड्रोन सर्वे कराएगा। इस पर काम शुरू हो गया है। आबादी की रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी। साथ ही जमीन अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों से भी शासन को अवगत कराया जाएगा। मुआवजा दर कम होने के कारण किसान जमीन देने को तैयार नहीं हैं। किसानों की समस्याओं का समाधान किए बिना जमीन अधिग्रहण करना आसान नहीं है। फिलहाल 2011 की सैटेलाइट इमेज देखकर आबादी छोड़ने का प्रावधान है। दरअसल, प्राधिकरण को उद्योग लगाने और अन्य विकास परियोजनाएं लगाने के लिए 460 हेक्टेयर जमीन का लैंडबैक बनाना है। इसके लिए पिछले महीने क्षेत्र के 21 गांवों में आपसी सहमति के आधार पर जमीन खरीदने की सूचना प्रकाशित की गई थी। इसमें पुरानी आबादी का खसरा नंबर भी प्रकाशित किया गया था। इसके विरोध में किसान उतर आए हैं और उचित मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं। जमीन खरीदने के लिए गांवों में कैंप लगाए गए, लेकिन कोई आगे नहीं आया। इस चुनौती से निपटने के लिए अब प्राधिकरण ने गांवों में ड्रोन सर्वे कराने का फैसला लिया है। ड्रोन की मदद से यह पता लगाया जाएगा कि वर्तमान में किस स्थान पर कितनी आबादी मौजूद है। प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक इसी आधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी। शासन के निर्देश पर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। प्राधिकरण आबादी वाली जमीन को अधिग्रहण से बाहर रखता है, ताकि भविष्य में इसको लेकर कोई विवाद न हो। अधिकारियों को उम्मीद है कि आबादी का मसला सुलझने के बाद जमीन का अधिग्रहण करना आसान हो जाएगा।
इसलिए ड्रोन सर्वे की जरूरत
20 जून 2011 तक हुए निर्माण को आबादी मानकर छोड़ने का प्रावधान है। इस बीच परिवार बढ़ा या बिखर गया तो लोगों ने नए मकान बना लिए। जहां एक मकान था, वहां अब तीन से चार मकान हो गए हैं। ऐसे में नए सिरे से ड्रोन सर्वे की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि आबादी की समस्या का समाधान हो सके। उधर, किसानों का कहना है कि बार-बार प्रयास के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। आबादी का मसला सुलझने के बाद ही जमीन प्राधिकरण को दी जाएगी।