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उत्तर प्रदेश, नोएडा: सरहद पर देश की सेवा के बाद साहित्य और संगीत को दे रहें है सेवा सूबेदार शंभू प्रसाद

उत्तर प्रदेश, नोएडा: सरहद पर देश की सेवा के बाद साहित्य और संगीत को दे रहें है सेवा सूबेदार शंभू प्रसाद

अजीत कुमार

उत्तर प्रदेश, नोएडा। 28 वर्षों तक भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देने और वर्ष 1965 और 1971 की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले सूबेदार शंभू प्रसाद सुयाल ने अब संगीत तथा साहित्य की सेवा करने का बीड़ा उठाया। बुधवार को नोएडा के सेक्टर 29 जिला गंगा शॉपिंग कांप्लेक्स के नोएडा मीडिया क्लब में भारतीय सेना से रिटायर्ड सूबेदार शंभू प्रसाद सुयाल द्वारा प्रेस वार्ता की गई, प्रेसवार्ता के दौरान शंभू प्रसाद सुयाल ने मीडिया कर्मियों को जानकारी देते हुए बताया कि अब तक उनकी पाँच रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं, जिसमें दो कहानी संग्रह,एक उपन्यास तथा अन्य गीत एवं गद्य की रचनाएं शामिल हैं, उन्होंने बताया की वह अब तक “मैं पराई नहीं हूँ, सहारा, समर्पण, योग्यता, मधुरगीत” नाम की पाँच पुस्तकें लिख चुके हैं। इसके अलावा भी संगीत में भी बेहद दिलचस्पी रखते हैं प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कई गीत गाकर मीडिया कर्मियों के सामने अपने हुनर का प्रदर्शन भी किया, उन्होंने बताया कि दूरदर्शन में भी समय-समय पर भी अपने कार्यक्रम पेश करते रहते हैं।

प्रेसवार्ता के दौरान शंभू प्रसाद सुयाल ने बताया कि उनका जन्म उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था, अपनी प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई के बाद उनका वर्ष 1964 चयन भारतीय सेना में हो गया था उन्होंने भारतीय सेना में 28 वर्षों तक सेवा की, इस दौरान उन्होंने वर्ष 1965 तथा 1971 की जंग भी लड़ी तथा पाकिस्तान सेना के छक्के छुड़ा दिए,उनकी इसी वीरता पर उनको कई मेडल भी दिए गए,सेना से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने केंद्रीय सचिवालय में नौकरी ज्वाइन की तथा 13 वर्षों तक सुपरवाइजर के पद पर तैनात रहे। जहाँ से रिटायर होने बाद उन्होंने साहित्य तथा संगीत की सेवा शुरू कर दी।

लगातार जारी है कहानी और कविता लेखन

जहां प्रेस वार्ता के दौरान शंभू प्रसाद सुयाल ने अपनी सेना में सेवा के दौरान युद्ध और नौकरी से संबंधित कई किस्से कहानियां मीडिया कर्मियों के साथ साझा की वहीं उन्होंने बताया कि उनके द्वारा लगातार कहानियां और कविताओं का लेखन जारी है, जल्द ही उनकी अन्य किताब है भी बाजार में आएंगे उन्होंने बताया कि उनकी उम्र अब करीबन 80 वर्ष हो गई है लेकिन कहानी और कविताओं को लिखने का जज्बा उनका लगातार ही बढ़ता जा रहा है।

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