Greater Noida: पारसौल गांव में आबादी अधिकारों को लेकर महापंचायत, यमुना प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन तेज

Greater Noida: पारसौल गांव में आबादी अधिकारों को लेकर महापंचायत, यमुना प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन तेज
नोएडा। ग्रेटर नोएडा के पारसौल गांव में शनिवार को ग्रामीणों ने अपनी पुरानी आबादी के अधिकारों को लेकर एक बड़ी महापंचायत का आयोजन किया। महापंचायत में बड़ी संख्या में ग्रामीण, किसान और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव की करीब 60 वर्ष पुरानी आबादी को यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए सेक्टरों के नक्शों में जानबूझकर शामिल नहीं किया गया है, जिससे गांव के लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्राधिकरण की नियोजन प्रक्रिया में उनकी पुरानी आबादी को नजरअंदाज कर दिया गया, जिसके कारण न तो विकास कार्य हो पा रहे हैं और न ही उन्हें कानूनी अधिकार मिल पा रहे हैं। नक्शों में आबादी दर्ज न होने से मकानों के नक्शे पास कराने, बिजली-पानी जैसी सुविधाओं और अन्य बुनियादी जरूरतों में भी बाधाएं आ रही हैं। इसी मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने एकजुट होकर महापंचायत के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर की।
महापंचायत में वक्ताओं ने कहा कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो आने वाले समय में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं। ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि जल्द ही यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी से मुलाकात कर अपनी मांगें रखी जाएंगी। इसके साथ ही स्थानीय विधायक और मुख्यमंत्री से भी मिलकर पुरानी आबादी के अधिकारों को लेकर ठोस समाधान की मांग की जाएगी।
पंचायत में यह भी तय किया गया कि यदि प्रशासन और प्राधिकरण की ओर से सकारात्मक पहल नहीं होती है तो ग्रामीण विशेष धरना-प्रदर्शन और आंदोलन शुरू करेंगे। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि यह लड़ाई केवल पारसौल गांव की नहीं, बल्कि उन सभी गांवों की है, जहां पुरानी आबादी को योजनाओं से बाहर किया जा रहा है। आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा और जरूरत पड़ने पर बड़े स्तर पर प्रदर्शन भी किया जाएगा।
भारतीय किसान मजदूर युवा विकास संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित चौधरी ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि यह संघर्ष गांव, किसानों और ग्रामीणों के हक-अधिकारों के लिए है। उन्होंने कहा कि जब तक पुरानी आबादी को योजनाओं में शामिल कर उनके अधिकार सुरक्षित नहीं किए जाते, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और इस संघर्ष को कमजोर नहीं पड़ने दिया जाएगा।





