NDMC Training: एनडीएमसी के माली बने ‘पेड़-पौधों के डॉक्टर’, चार दिवसीय विशेष प्रशिक्षण में लैंडस्कैपिंग से लेकर सर्जिकल ट्री-केयर तक सीखा

NDMC Training: एनडीएमसी के माली बने ‘पेड़-पौधों के डॉक्टर’, चार दिवसीय विशेष प्रशिक्षण में लैंडस्कैपिंग से लेकर सर्जिकल ट्री-केयर तक सीखा
रिपोर्ट: रवि डालमिया
नई दिल्ली। राजधानी को दुनिया की सबसे हरित नगरियों में शामिल करने के लक्ष्य के तहत न्यू दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल (NDMC) के मालियों और गार्डनर्स को चार दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया गया। यह कार्यक्रम NDMC के साथ मिलकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेक्रेटेरिएट ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट ने आयोजित किया, जिसमें “ग्रीन मैन ऑफ इंडिया” विजयपाल बघेल और पर्यावरणविद् चंद्र मोहन त्यागी मुख्य ट्रेनर रहे।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मालियों को सिर्फ गार्डनिंग नहीं, बल्कि पेड़-पौधों की ‘मेडिकल केयर’ यानी वैज्ञानिक और सर्जिकल तरीके से देखभाल सीखाना था। ट्रेनिंग लेने वाले मालियों को बताया गया कि जिस तरह इंसानों का शरीर होता है, उसी तरह पेड़-पौधे भी एक जीवित बॉडी हैं। और जिस तरह मानव शरीर का इलाज सर्जरी के माध्यम से किया जाता है, उसी तरह पेड़ों पर भी सर्जिकल ट्री-केयर के जरिए नई प्रजातियां विकसित की जा सकती हैं और उन्हें पुनर्जीवित किया जा सकता है। इसे ‘रिप्रोडक्शन’ का एक वैज्ञानिक तरीका बताया गया।
लैंडस्कैपिंग और आधुनिक गार्डनिंग तकनीकें भी सिखाईं
चार दिवसीय प्रशिक्षण में मालियों को कक्षा में थ्योरी के साथ-साथ मैदान में जाकर प्रैक्टिकल प्रशिक्षण भी दिया गया। NDMC क्षेत्र में उपलब्ध जमीन, हरियाली का प्रतिशत और हरियाली बढ़ाने की संभावनाओं पर विस्तृत अध्ययन कराया गया। उन्हें वर्टिकल गार्डन, टेरेस गार्डन, किचन गार्डन, रॉक गार्डन, लॉन प्रबंधन और वाटर गार्डन जैसी आधुनिक तकनीकों को समझने और बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण के दौरान मालियों ने NDMC क्षेत्र के 51 राउंडअबाउट और 13 प्रमुख चौराहों की हरियाली संरचना का सर्वे किया। यहां मौजूद परंपरागत प्रजातियों जैसे आम, जामुन, इमली, नीम, कचनार, अमलतास आदि के संरक्षण एवं एवेन्यू प्लांटेशन के महत्व को समझाया गया। इसी आधार पर उन्हें शांतिपथ और अन्य महत्वपूर्ण मार्गों की तरह नए लैंडस्कैप डिज़ाइन तैयार करने का अभ्यास कराया गया।
पेड़-पौधों की पहचान से लेकर गुलाब की नई वैरायटी तैयार करने तक का प्रशिक्षण
मालियों को वनस्पतियों की पहचान की विस्तृत पद्धति सिखाई गई—कौन सा पेड़ किस प्रजाति का है, उसकी कितनी वैरायटी होती हैं और किस प्रजाति का पौधा पर्यावरण संतुलन में कितनी भूमिका निभाता है।
रोज गार्डन में 700 वैरायटी के गुलाब दिखाए गए और उन्हें मदर प्लांट से नई किस्में विकसित करने की आधुनिक तकनीक भी सिखाई गई। बताया गया कि किस तरह एक मुख्य तने (मदर प्लांट) से अलग-अलग शाखाओं पर नई वैरायटी तैयार की जा सकती है।
कुशल सिंचाई, घास कटाई, हेज प्रबंधन और जैविक खाद पर फोकस
प्रशिक्षण में पानी की बचत करते हुए सिंचाई के तरीके, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग का महत्व और पत्तियों से जैविक खाद बनाने की विधि पर विशेष ध्यान दिया गया।
मालियों ने घास काटने, प्रूनिंग, हेज तैयार करने और अलग-अलग प्रजातियों की हेज के फायदे सीखने के बाद पार्कों में व्यावहारिक अभ्यास भी किया।
अधिकारियों की मौजूदगी और भविष्य का लक्ष्य
कार्यक्रम में NDMC के डिप्टी डायरेक्टर नीरज कांत शर्मा, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेक्रेटेरिएट ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट की सीनियर मैनेजर मधुलिका अग्रवाल, एडवाइज़र विजय कुमार गुप्ता, सम समाज सेवा संस्थान के सचिव वी.के. राघव, पूनम राघव और अभिषेक कुमार समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।
प्रशिक्षण के लाभ
NDMC के गार्डनर्स अब वैज्ञानिक पद्धति से पेड़ों की ‘सर्जिकल केयर’ कर सकेंगे।
क्षेत्र में लैंडस्कैपिंग और गार्डनिंग की गुणवत्ता बढ़ेगी।
नई प्रजाति के पौधे विकसित कर हरियाली में वृद्धि होगी।
जल संरक्षण और जैविक खाद के उपयोग से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
NDMC का लक्ष्य—नई दिल्ली को दुनिया का ‘सबसे हरित प्रशासनिक क्षेत्र’ बनाने का—और मजबूत होगा।
यह चार दिवसीय प्रशिक्षण राजधानी के हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।





