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Breast Cancer Survivor: ब्रेस्ट कैंसर पीड़िता ने जीती कैंसर से जंग,रेडिएशन-कीमो से कैंसर खत्म, पैलिएटिव केयर से दर्द में राहत

Breast Cancer Survivor: ब्रेस्ट कैंसर पीड़िता ने जीती कैंसर से जंग,रेडिएशन-कीमो से कैंसर खत्म, पैलिएटिव केयर से दर्द में राहत

महिलाओं के लिए जरूरी – समय-समय पर सेल्फ ब्रेस्ट असेसमेंट और कैंसर स्क्रीनिंग
नई दिल्ली, “जब मुझे पहली बार अपने कैंसर के बारे में पता चला, तो लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया है। लेकिन कहते हैं, जब जिंदगी सबसे मुश्किल मोड़ पर लाती है, तब वह सबसे अच्छे लोगों से भी मिलवाती है,” — यह कहना है दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (DSCI) की ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर इशरत जहां का, जिन्होंने कैंसर को मात देकर नई जिंदगी पाई।

इशरत जहां ने बताया, “डॉक्टरों, नर्सों और अस्पताल के स्टाफ ने मुझे परिवार जैसा साथ दिया। कई बार लगा कि मैं हार जाऊंगी, लेकिन डॉक्टर ने कहा — ‘इलाज हम करेंगे, लड़ाई आप लड़ेंगी, जीत हम साथ मनाएंगे।’ और सच में, यह जीत हम सबकी है।”

पैलिएटिव केयर से मिला सहारा

डॉ. विक्रम प्रताप सिंह, सहायक प्रोफेसर, पैलिएटिव केयर विभाग, डीएससीआई ने कहा —

“कैंसर मरीजों को केवल इलाज नहीं, बल्कि संवेदनशील व्यवहार, प्यार और सहानुभूति की जरूरत होती है। हमारी मुस्कान ही उन्हें लड़ने की ताकत देती है।”

उन्होंने बताया कि पैलिएटिव केयर टीम मरीजों के दर्द को दवा, इंजेक्शन और भावनात्मक समर्थन के ज़रिए कम करती है। इससे मरीजों की मानसिक स्थिति बेहतर होती है और इलाज का असर बढ़ता है।

डॉक्टर अफसाना शाह ने दी चेतावनी

क्लिनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अफसाना शाह ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर महानगरों में महिलाओं में सबसे सामान्य कैंसर बन गया है।

“अक्सर महिलाएं सेल्फ ब्रेस्ट असेसमेंट या नियमित स्क्रीनिंग नहीं करवातीं, जिसके कारण यह रोग एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है।”

डॉ. शाह के मुताबिक, कई मरीज मेटास्टेटिक स्टेज में पहुंच जाते हैं, जहां कैंसर हड्डियों तक फैल चुका होता है। ऐसे में पैलिएटिव केयर की भूमिका बहुत अहम होती है — यह न केवल दर्द कम करता है, बल्कि मरीज को मानसिक शक्ति भी देता है।

जागरूकता है सबसे बड़ी सुरक्षा

विशेषज्ञों ने महिलाओं से अपील की है कि वे हर तीन महीने में स्वयं ब्रेस्ट जांच (Self Breast Assessment) करें और साल में एक बार कैंसर स्क्रीनिंग अवश्य कराएं। समय पर जांच से ब्रेस्ट कैंसर का इलाज पूरी तरह संभव है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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