
बिहार चुनाव 2025: नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव — कौन बनेगा बिहार का अगला मुख्यमंत्री?
महागठबंधन ने तेजस्वी को बनाया सीएम चेहरा, एनडीए में अब भी सस्पेंस जारी
बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है। 2025 के विधानसभा चुनावों की आहट के साथ ही राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ा सवाल गूंज रहा है — बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? जहां महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) ने पहले ही राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना सीएम चेहरा घोषित कर दिया है, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) अब तक अपने उम्मीदवार के नाम पर चुप्पी साधे हुए है।
राजद और कांग्रेस समेत कई दलों के गठबंधन महागठबंधन ने युवा नेता तेजस्वी यादव पर दांव लगाया है। 2020 के चुनाव में तेजस्वी ने भले ही सत्ता हासिल न की हो, लेकिन उन्होंने महागठबंधन के प्रदर्शन को ऐतिहासिक रूप से मजबूत किया था। दूसरी ओर, एनडीए में यह तय नहीं है कि इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार होंगे या भाजपा अपना अलग चेहरा पेश करेगी।
एनडीए में सस्पेंस, सर्वे में आगे तेजस्वी
नीतीश कुमार, जो 2005 से बिहार की सत्ता संभालते आ रहे हैं, एनडीए के सबसे अनुभवी चेहरों में से एक हैं। हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जद (यू) के फिर से एनडीए में लौटने के बाद से भाजपा और नीतीश के रिश्तों में नई समीकरणों की चर्चा है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने हाल ही में बयान दिया कि “नीतीश कुमार जी हमारे मुखिया हैं”, जिससे यह संकेत मिला कि फिलहाल एनडीए में नीतीश का ही पलड़ा भारी है।
फिर भी, भाजपा के भीतर कई नेता मानते हैं कि पार्टी को अपना सीएम चेहरा सामने लाना चाहिए। “स्टेट वाइब पोल” नामक हालिया सर्वे में 33% उत्तरदाताओं ने कहा कि भाजपा को अपने स्वयं के मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए, जबकि केवल 24% लोग नीतीश कुमार के काम से संतुष्ट दिखे। दिलचस्प बात यह है कि उसी सर्वे में 56% लोगों ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार का शासनकाल लालू यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल से बेहतर रहा है।
तेजस्वी यादव इस सर्वे में मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पहली पसंद बनकर उभरे हैं। महागठबंधन के युवा चेहरा होने के साथ-साथ तेजस्वी ने हाल के वर्षों में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाया है।
‘सुशासन बाबू’ से ‘पलटू राम’ तक का सफर
नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर बिहार की राजनीति में स्थिरता और अनिश्चितता दोनों का प्रतीक रहा है। उन्हें “सुशासन बाबू” कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने बिहार में सड़कों, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाए। वहीं, विपक्षी पार्टियां उन्हें “पलटू राम” कहकर निशाना बनाती हैं, क्योंकि उन्होंने कई बार राजनीतिक गठबंधन बदले हैं।
नीतीश कुमार 2005 से अब तक बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता हैं। उनके कार्यकाल में केवल एक बार 2014 में जीतन राम मांझी ने 278 दिनों तक मुख्यमंत्री पद संभाला था। इससे पहले नीतीश 2000 में सात दिनों के लिए भी मुख्यमंत्री बने थे।
1 मार्च 1951 को पटना के पास बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार ने जेपी आंदोलन से राजनीति में कदम रखा था। इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ छात्रों के आंदोलन में शामिल होकर वे जनता पार्टी में पहुंचे, जो कांग्रेस विरोधी मोर्चे का हिस्सा थी। धीरे-धीरे वे बिहार की राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जो विकास और प्रशासनिक सुधारों के प्रतीक बने।
कौन बनेगा बिहार का अगला सीएम?
अब सवाल यही है कि बिहार की जनता 2025 में किस पर भरोसा जताएगी — विकास के लंबे अनुभव वाले नीतीश कुमार पर या युवा और ऊर्जावान तेजस्वी यादव पर? एनडीए में अभी भी उम्मीदवार को लेकर सस्पेंस है, जबकि महागठबंधन ने अपनी बाजी पहले ही खेल दी है। आने वाले महीनों में यह तय होगा कि क्या “सुशासन” की छवि जीत पाएगी या “परिवर्तन” का नारा जनता को ज्यादा लुभाएगा।
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