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उत्तर प्रदेश : पारस छाबरा को प्रेमानंद महाराज ने दी सलाह, निजी आध्यात्मिक अनुभव न करें सार्वजनिक

Mathura News (सौरभ) : मथुरा में अभिनेता और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पारस छाबरा ने एक आध्यात्मिक चर्चा के दौरान संत श्री प्रेमानंद महाराज से यह जानने की कोशिश की कि क्या उन्हें राधा रानी के प्रति अपने व्यक्तिगत प्रेम और उससे जुड़े सुखद अनुभवों को सार्वजनिक रूप से साझा करना चाहिए, ताकि अन्य लोग भी प्रेरित हो सकें।

पारस छाबरा ने महाराज जी से कहा कि जब उन्हें राधा रानी से प्रेम और उनसे संबंधित कोई सुखद अनुभव होता है, तो वह चाहते हैं कि सभी लोग ऐसा महसूस करें, इसलिए वह अपने अनुभव साझा कर देते हैं। इस पर श्री प्रेमानंद महाराज ने उन्हें स्पष्ट रूप से ऐसा न करने की सलाह दी।

महाराज जी ने कहा, “नहीं करना चाहिए। वह (दूसरे लोग) नहीं कर पाएंगे और आप खाली हो जाएंगे।” जब पारस छाबरा ने बताया कि उनका एक शो है जहाँ वह राधा रानी की बातें करते हैं, तो महाराज जी ने ‘बातें करने’ और ‘व्यक्तिगत अनुभव बताने’ के बीच का अंतर समझाया।

प्रेमानंद महाराज की मुख्य शिक्षा

अनुभव साझा करना पाखंड की ओर ले जा सकता है: महाराज जी ने चेतावनी दी कि यह कहना कि “मुझे ऐसा फीलिंग हो रहा है, मुझे ऐसा अनुभव हो रहा है,” इससे व्यक्ति या तो पाखंड में आ जाएगा या उसका निजी अनुभव खत्म हो जाएगा।

संतों के दृष्टांत का उपयोग करें: उन्होंने कहा कि अपने अनुभव को सीधे बताने के बजाय, यह कहा जा सकता है कि “हमने संतों से सुना है कि ऐसा करने से ऐसा आनंद मिलता है,” या “संतों ने जो कहा है वह सत्य होता है।”

लौकिक और अलौकिक प्रेम को गुप्त रखें: महाराज जी ने सलाह दी कि राधा नाम जपने से लौकिक और पारलौकिक लाभ प्राप्त करने वाले अन्य साधकों के बारे में बताया जा सकता है, या यह कहा जा सकता है कि राधा नाम का प्रभाव उन्हें आंतरिक और बाह्य आनंद प्रदान कर रहा है। हालांकि, अपने अत्यधिक व्यक्तिगत और “घुसकर अनुभव” (गहन व्यक्तिगत अनुभव) नहीं बताने चाहिए।

‘अलौकिक प्रेम’ गुप्त रखना चाहिए: महाराज जी ने निष्कर्ष में कहा, “लौकिक प्रेम की बात नहीं बता सकते तो फिर अलौकिक प्रेम की बात हम कैसे बताएं? हमको गुप्त रखने चाहिए।”

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