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New Delhi : फार्मा लैब से ‘नारको फैक्ट्री’ तक: रतलाम में उजागर हुआ रासायनिक अपराध का खतरनाक जाल

New Delhi (मिताली चंदोला, एडिटर, स्पेशल प्रोजेक्ट्स) : मध्यप्रदेश के रतलाम जिले की एक शांत औद्योगिक बस्ती में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की कार्रवाई ने देश के सामने रासायनिक अपराध का एक नया चेहरा उजागर किया है। इंडौर जोनल यूनिट ने 18 अक्टूबर को आईपीसीए लैब के पास एक गुप्त लैब का भंडाफोड़ किया, जहां अवैध रूप से अल्प्राजोलम (Alprazolam) नामक मादक पदार्थ तैयार किया जा रहा था।

इस लैब से 13.76 किलोग्राम अल्प्राजोलम, जिसकी काले बाजार में कीमत करीब ₹3.44 करोड़ है, बरामद की गई। छापे के दौरान वैज्ञानिक उपकरण और रासायनिक सॉल्वेंट जैसे मेथनॉल, क्लोरोफॉर्म, टोल्यून और एथिल एसीटेट भी जब्त किए गए — जो आमतौर पर वैध दवाइयों की तैयारी में उपयोग होते हैं।

चौंकाने वाली बात यह रही कि इस रैकेट को दो उच्च शिक्षित फार्मा विशेषज्ञों ने संचालित किया — दोनों ने अपनी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि का इस्तेमाल इलाज के बजाय अवैध मुनाफे के लिए किया। जांच में सामने आया है कि जनवरी 2025 से यह गिरोह किराए के गोदाम में इस मनोदैहिक दवा का निर्माण कर रहा था।

अल्प्राजोलम, जो आमतौर पर एंटी-एंग्जायटी दवा के रूप में दी जाती है, अब टॉडी और हेरोइन की मिलावट में प्रयोग हो रही है। यह रैकेट न केवल लत बढ़ा रहा है, बल्कि नारको-टेररिज्म और राज्य-स्तरीय ड्रग नेटवर्क्स से भी जुड़ाव की कड़ी साबित हो रहा है।

एनसीबी की यह कार्रवाई एक चेतावनी है — भारत का नशे का जाल अब खेतों या समुद्री तस्करी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हमारे शहरों की प्रयोगशालाओं में जन्म ले रहा है। यह वह दौर है जब विज्ञान और अपराध एक साथ प्रयोगशाला में खड़े हैं — और हर टेस्ट ट्यूब में छिपा है एक नया खतरा।

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