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 उत्तर प्रदेश, नोएडा: टीईटी अनिवार्यता ने शिक्षकों को दुविधा में डाला

 उत्तर प्रदेश, नोएडा: टीईटी अनिवार्यता ने शिक्षकों को दुविधा में डाला

अजीत कुमार
 उत्तर प्रदेश, नोएडा। कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य होने के बाद हजारों शिक्षकों को गहरी दुविधा में डाल दिया है। शिक्षक विरोध प्रदर्शन की तैयारी के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी है। जिले के 1800 से अधिक शिक्षकों को यह परीक्षा देनी होगी। वर्तमान समय में शिक्षकों के व्हाट्सएप समूह टीईटी पाठ्यक्रम की सामग्री, सामान्य ज्ञान के प्रश्नों और विषयवार नोट्स से भरे पड़े हैं। कई शिक्षक दिन-रात पढ़ाई में जुट गए हैं, तो कई अब भी इस अनिवार्यता को लेकर तनावग्रस्त हैं।

जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से अधिक है, उन्हें हर हाल में परीक्षा देनी होगी, अन्यथा नौकरी संकट में पड़ सकती है। यही डर शिक्षकों के बीच तनाव और असमंजस को और बढ़ा रहा है। एक वर्ग मानता है कि इतने वर्षों तक पढ़ाने के बाद भी पात्रता पर सवाल खड़ा होना अपमानजनक है। जबकि, दूसरा वर्ग यह मान रहा है कि परिस्थिति को स्वीकार कर तैयारी ही एकमात्र रास्ता है। कई शिक्षक कहते हैं कि न तो विरोध से राहत मिलती दिख रही है और न ही तैयारी से तनाव कम हो रहा है। शासन ने 29 और 30 जनवरी को शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव दिया है और आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। ऐसे में शिक्षकों के पास ज्यादा समय भी नहीं है। वहीं, शिक्षक संगठन के जरिये विरोध की रणनीति के साथ भी खड़े हैं। बता दे कि पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने बिना टीईटी उत्तीर्ण किए शिक्षकों को परिषदीय विद्यालयों में नहीं पढ़ाने के आदेश दिए हैं। हालांकि, जिन शिक्षकों की सेवा पांच वर्ष से कम बची है, उन्हें इससे दूर रखा गया है। शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मेघराज सिंह का कहना है कि शिक्षक विरोध की तैयारी के साथ-साथ परीक्षा की भी तैयारी में जुटे हैं। हालांकि, इस संबंध में सरकार को आगे आना चाहिए।

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