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DFCCIL: डीएफसीसीआईएल ने ट्रैवर्स तकनीक से स्थापित की डाउन कनेक्टिंग लाइन

DFCCIL: डीएफसीसीआईएल ने ट्रैवर्स तकनीक से स्थापित की डाउन कनेक्टिंग लाइन

नई दिल्ली। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) ने पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के तहत एक और बड़ी तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय रेलवे के खारबाव स्टेशन पर डीएफसी डाउन कनेक्टिंग लाइन पर ओपन वेब गर्डर (OWG) को ट्रैवर्स तकनीक के माध्यम से सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। यह कार्य सेंट्रल रेलवे के खारबाव और कामन स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन के ऊपर पूरा हुआ। यह खंड देश के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) को डीएफसी नेटवर्क से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।

85 मीटर लंबा और लगभग 700 मीट्रिक टन वजनी यह ओपन वेब गर्डर आधुनिक सिविल इंजीनियरिंग, संरचनात्मक डिजाइन और निर्माण तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है। ट्रैवर्स विधि से इस भारी संरचना को रेलवे ट्रैक के ऊपर स्थापित करना अत्यंत जटिल और जोखिमपूर्ण कार्य था, जिसे डीएफसीसीआईएल की इंजीनियरिंग टीम ने अद्भुत सटीकता के साथ पूरा किया। इस तकनीक में गर्डर को चरणबद्ध क्षैतिज विस्थापन (incremental launching) के माध्यम से निर्धारित स्थान पर पहुँचाया गया, जिससे रेल परिचालन में कोई व्यवधान नहीं हुआ।

यह उपलब्धि पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के जेएनपीटी से वैतरना सेक्शन के पूरा होने की दिशा में बड़ा कदम है। इस जुड़ाव से देश के औद्योगिक और बंदरगाह क्षेत्रों के बीच माल परिवहन की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगा। अब मालगाड़ियों की आवाजाही और तेज व सुगम होगी, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत और समय दोनों में कमी आएगी।

डीएफसीसीआईएल का यह कदम प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो देश में मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने पर केंद्रित है। यह उपलब्धि साबित करती है कि भारत अब उच्च स्तरीय इंजीनियरिंग परियोजनाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर अपने दम पर पूरा करने में सक्षम है। पश्चिमी डीएफसी के पूर्ण होने से बंदरगाहों तक माल ढुलाई का समय घटेगा, सड़क यातायात में भारी ट्रकों की संख्या कम होगी और इससे ईंधन खपत व कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह कदम एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।

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