
नई दिल्ली, 25 अक्तूबर: देश के डॉक्टरों ने ओरल कैंसर की जांच के लिए एक अत्याधुनिक किट का विकास किया है, जो ना सिर्फ कैंसर की सटीक पहचान करती है। बल्कि समय बचाती है और बायोप्सी व अन्य परीक्षणों की तुलना में बेहद किफायती भी है।
दरअसल, भारत में तंबाकू सेवन एक बड़ी समस्या बना हुआ है जिसके चलते प्रतिवर्ष लाखों लोग ओरल कैंसर से पीड़ित होकर जान गंवा देते हैं। अगर समय रहते यानि प्रथम चरण में ही ओरल कैंसर की पहचान हो जाए तो 80% से 90% मौतों को रोका जा सकता है। ऐसे ही मामलों के मद्देनजर जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से ओरल कैंसर स्क्रीनिंग किट बनाई गई है। जिसके प्रयोग से कैंसर की सटीक जांच की जा सकती है। यह कैंसर जांच करने की बेहद सरल प्रक्रिया है जिसे चिकित्सकीय या प्रयोगशाला कौशल के बिना भी संपन्न किया जा सकता है।
ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एन्ड टेक्नोलॉजी इंस्टीयूट, फरीदाबाद की बायो डिजाइन फेलो डॉ जयंती कुमारी ने शुक्रवार को डॉक्टर विदाउट बॉर्डर और आरएमएल अस्पताल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बताया कि फिलहाल स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों के मुख कैंसर की जांच उनके मुंह के अंदर की स्थिति को देखकर करते हैं जो 50% सही नहीं होता। वहीं, बायोप्सी जांच का परिणाम तो सटीक होता है लेकिन जांच के लिए व्यक्ति के शरीर से मांस का टुकड़ा लिया जाना और जांच की दर महंगी होने के कारण लोग अक्सर जांच कराने से कतराते हैं। ऐसे में ओरल कैंसर स्क्रीनिंग किट महज 100 रुपये में ओरल कैंसर जांच का सटीक परिणाम देती है।
डॉ जयंती के मुताबिक इस किट के विकास का उद्देश्य लोगों को ओरल कैंसर जांच की सुविधा बेहद सस्ती दरों पर मुहैया कराना है। ताकि उन्हें दर्दनाक बायोप्सी टेस्ट और अन्य महंगी जांचों से बचाया जा सके और वे उचित समय पर अपना इलाज शुरू करवा सकें। फिलहाल, इस किट का लैब मूल्यांकन हो चुका है। अब ईएसआईसी अस्पताल में इसका क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। वहां आशा कार्यकर्ता व्यक्ति के मुंह की लार की महज एक बूंद किट में डालती है और कुछ ही पलों के बाद परिणाम मिल जाता है। अगर किट में एक लाइन दिखती है तो व्यक्ति सुरक्षित है और अगर दो लाइन दिखती है तो व्यक्ति जोखिम में है। उसे तुरंत ही ओरल कैंसर के इलाज की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए।
डॉ जयंती ने बताया कि मुंह का कैंसर सबसे आम कैंसर है। भारत में ओरल कैंसर होने की वजह खैनी, तंबाकू, गुटखा, और पान मसाला का सेवन करना है। मुंह में छाले या घाव का ठीक न होना, खून का रिसाव नहीं रुकना, और गले में दर्द रहित गांठ होना, ओरल कैंसर के संकेत हो सकते हैं। ओरल कैंसर की शुरुआती स्टेज में पहचान हो जाने पर रिकवरी का रेट 80 से 90 प्रतिशत तक रहता है। भारत में ओरल कैंसर के मामले सबसे ज़्यादा हैं। इसके बाद लंग कैंसर, खाने की नली का कैंसर, पेट का कैंसर, और ब्लड कैंसर प्रमुख हैं।