उत्तर प्रदेश : “सोलर एनर्जी” उजाले के साथ मिलेगा रोजगार, रौशन होगी लोगों की जिंदगी, 2030 तक सोलर एनर्जी से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का योगी सरकार का लक्ष्य
इको फ्रेंडली सोलर एनर्जी, इससे न केवल उजाला मिलेगा, बल्कि इससे बड़ी...

Lucknow News : इको फ्रेंडली सोलर एनर्जी, इससे न केवल उजाला मिलेगा, बल्कि इससे बड़ी संख्या में मिलने वाले रोजगार से लोगों और उनके परिवार की जिंदगी भी रौशन होगी। योगी सरकार की मंशा उत्तर प्रदेश को खासकर बुंदेलखंड, विंध्य और उससे लगे क्षेत्रों को सोलर एनर्जी का हब बनाना है। इस बाबत नीति बनाकर लगातार प्रयास भी जारी है। इसी क्रम में सरकार ने हाल ही में स्मार्ट एनर्जी काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया एवं हिंदुजा समूह के साथ एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) भी साइन किया है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट सोलर एनर्जी के उत्पादन का है।
आठ साल में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी बदलाव
जैसे-जैसे सोलर एनर्जी में वृद्धि होगी इनके पैनलों के निर्माण, इनके इंस्टालेशन, रखरखाव, ग्रिड के एकीकरण और ट्रांसमिशन के क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। सरकार ने इसके लिए सोलर मित्र योजना भी शुरू कर चुकी है। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे तब उत्तर प्रदेश में सिर्फ 288 मेगावाट बिजली ही सोलर परियोजनाओं के जरिए पैदा होती थी। वर्तमान समय में सरकार उससे 10 गुना बिजली सोलर परियोजनाओं से पैदा कर रही है। इस क्षमता को लगातार बढ़ाने का प्रयास भी जारी है। इसी क्रम में सौर ऊर्जा नीति 2022 के तहत सोलर एनर्जी से 2200 मेगावाट बिजली के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
इसके लिए सभी नगर निगमों में सोलर पार्क बनेंगे। एक्सप्रेसवे के साथ रेलवे ट्रैकों के किनारे भी सोलर ग्रिड स्थापति किए जाएंगे। स्ट्रीट लाइटस भी सोलर से रौशन होंगे। बेहतर आपत्ति के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क को और मजबूत किया जाएगा। बुंदेलखंड पर सरकार का खासा
रूफ टॉप सोलर पैनल को प्रोत्साहित कर रही सरकार
मालूम हो कि योगी सरकार अयोध्या को सूर्यवंशी भगवान श्रीराम की याद में सोलर सिटी के रूप में विकसित कर रही है। बाकी सभी 16 नगर निगमों एवं नोएडा को भी चरणबद्ध तरीके से सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है। सरकार का खासा फोकस है। इस क्रम में झांसी, जालौन, चित्रकूट,ललितपुर, कानपुर शहर और कानपुर देहात में सोलर पार्क स्थापित किए जाने हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित करने की भी सरकार घोषणा कर चुकी है।करेगी। ऐसा होने पर यह देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे बन जाएगा। सोलर एनर्जी को प्रोत्साहित देने के लिए सरकार रूफ टॉप परियोजना को भी लगातार बढ़ावा दे रही है। पीएम सूर्य योजना के तहत संचालित इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए रूफ टॉप पैनल के लक्ष्य को दोगुना कर दिया गया है। इस लिहाज से इस वित्तीय वर्ष में 2.65 लाख रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए जाने हैं। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने सोलर रूफ टॉप और भवन निर्माण के बारे में नया प्राविधान बनाया है। इसके अनुसार अब 5000 वर्गमीटर के नक्शे के लिए रूफ टॉप अनिवार्य होगा। विभाग इसकी मॉनिटरिंग भी करेगा।
केंद्रीय मंत्री भी कर चुके है तारीफ
अगर ऐसे किसी मकान पर सोलर पैनल नहीं है तो उसका नक्शा निरस्त कर दिया जाएगा। स्वाभाविक है कि रूफटॉप सोलर पैनल्स की बढ़ती संख्या के अनुसार बिजली उत्पादन भी बढ़ेगा। इसी के मद्देनजर सरकार ने वित्तीय वर्ष 2026-2027 का लक्ष्य बढ़ाकर आठ लाख सोलर रूफ टॉप का कर दिया है। सरकार इस पर भारी अनुदान दे रही है। यही वजह है कि अब कुछ कंपनियां आसान और लंबी अवधि के मासिक ईएमआई पर सोलर पैनल के इंस्टालेशन कर रही है। लाभार्थी को तुरंत कुछ नहीं देना है। अभी हाल में ही केंद्रीय उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी लखनऊ के दौरे पर आए थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा,”मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश ऊर्जा की बढ़ती मांग के अनुरूप एक रोल मॉडल बन रहा है। सरकार द्वारा अयोध्या और वाराणसी में सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) को लेकर हुए काम अनुकरणीय हैं।”