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उत्तर प्रदेश, नोएडा: आजीवन कारावास काट रहे 10 बंदी जेल की सलाखों से रिहा

उत्तर प्रदेश, नोएडा: आजीवन कारावास काट रहे 10 बंदी जेल की सलाखों से रिहा

अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। गौतमबुद्धनगर की लुक्सर स्थित जिला जेल से इस साल 10 कैदियों को रिहा किया गया है। यह रिहाई उन्हें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा दया याचिका स्वीकार किए जाने के बाद मिली है। यह सभी कैदी लंबे समय से जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। इनमें से अधिकतर को हत्या जैसे गंभीर मामलों में दोषी ठहराया गया था।
इन सभी बंदियों ने जेल प्रशासन के माध्यम से जिला प्रशासन, पुलिस, शासन स्तर से मंजूरी के बाद राज्यपाल को दया याचिका भेजी थी। जिसे कई स्तरों की जांच-पड़ताल और रिपोर्ट के आधार पर स्वीकार किया गया। रिहा किए गए कैदियों में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों के निवासी शामिल हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल को यह विशेषाधिकार प्राप्त है कि वह राज्य के किसी भी अपराधी को क्षमा, दंड में राहत या उसे कम कर सकते हैं। यह विशेषाधिकार विशेष रूप से उन मामलों में इस्तेमाल किया जाता है। जहां बंदी की आचरण में सुधार दिखाई देता है।

नियमों में बदलाव से मिल रहा लाभः
जेल प्रशासन की ओर से बंदियों के सुधार और पुनर्वास पर लगातार काम किया हो है। ताकि रिहाई के बाद वह समाज में सकारात्मक जीवन जी सकें। पिछले साल कारागार मंत्री ने जेल का निरीक्षण किया था। जेल अधिकारियों से कहा गया था कि समय पूर्व रिहाई के लिए 26 जनवरी गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अलावा 2 अक्तूबर अहिंसा दिवस, 1 अक्तूबर मजदूर दिवस के अलावा सामान्य दिनों में कैदियों की याचिका पर आदेश आने के बाद उन्हें जेल से छोड़े जाने की प्रक्रिया अपनाएं।

पहले स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर जेल में लंबे समय से बंद बंदियों को छोड़ने की परंपरा थी। अब यह प्रक्रिया पूरे साल चलती है। राज्यपाल के पास भेजे जाने से पहले हर याचिका पर गहन परीक्षण किया जाता है। जो बंदी वर्षों से सजा काट रहे होते हैं। जिनका जेल में व्यवहार अच्छा होता है, उन्हें यह राहत मिलती है।
-बृजेश कुमार, जेल अधीक्षक, गौतमबुद्धनगर

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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