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उत्तर प्रदेश : रामभद्राचार्य के बयान पर हिंदू नेता की नाराजगी, ‘उन्हें ज्ञान का घमंड है’ : दिनेश फलाहारी

Mathura (सौरभ) : वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर हिंदू नेता दिनेश फलाहारी ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने रामभद्राचार्य पर “ज्ञान के घमंड” का आरोप लगाया है, जबकि प्रेमानंद महाराज को लोगों का जीवन बदलने वाला एक महान संत बताया है।

क्या है विवाद की जड़?

हाल ही में, चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ के संस्थापक जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक इंटरव्यू में प्रेमानंद महाराज को न तो विद्वान माना और न ही चमत्कारी। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को खुली चुनौती देते हुए कहा था कि अगर चमत्कार है तो वह उन्हें चुनौती देते हैं और प्रेमानंद जी एक अक्षर उनके सामने संस्कृत बोलकर दिखा दें या उनके कहे हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ समझा दें।

दिनेश फलाहारी की पलटवार

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी ने रामभद्राचार्य के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें अपने ज्ञान का घमंड हो गया है। फलाहारी ने कहा कि प्रेमानंद महाराज एक अच्छे संत हैं जिन्होंने करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं और उन्हें सनातन धर्म से जोड़ा है।

दोनों संतों के जीवन-शैली की तुलना

फलाहारी ने दोनों संतों के जीवन-शैली की तुलना करते हुए कहा कि रामभद्राचार्य “महलों वाले संत” हैं जबकि प्रेमानंद महाराज के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। हालांकि, रामभद्राचार्य स्वयं अपने आश्रम की संपत्ति को भगवान की मानते हैं और स्वयं को केवल एक “चौकीदार” बताते हैं।

ज्ञान और भक्ति के बीच बहस

यह विवाद ज्ञान और भक्ति के बीच एक नई बहस को जन्म देता दिख रहा है, जहां एक तरफ शास्त्रीय विद्वत्ता को आध्यात्मिकता की कसौटी माना जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ त्याग, सादगी और जीवन पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को महत्व दिया जा रहा है। रामभद्राचार्य और मोहन भागवत के बीच भी इसी तरह का विवाद हुआ था, जहां रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत के बयान पर नाराजगी जताई थी ¹।

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