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उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: मंडोला में नहीं शुरू हो पाई आवास व एमएसएमई भूखंड योजना

उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: मंडोला में नहीं शुरू हो पाई आवास व एमएसएमई भूखंड योजना

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद। मंडोला विहार आवासीय योजना में मकानों और एमएसएमई भूखंडों की योजना अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। चार माह पूर्व आवास योजना और नए साल पर एमएसएमई भूखंडों के लिए पंजीकरण शुरू होने थे, लेकिन अभी तक योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। आवास एवं विकास परिषद की मंडोला विहार योजना में अभी तक लोग रुचि नहीं दिखा रहे थे। मगर दिल्ली सहारनपुर हाईवे से कनेक्टिविटी के बाद यहां निवेश को लेकर लोगों में रुचि बढ़ रही है। बीते साल लोगों ने यहां के प्लॉटों को हाथोंहाथ लिया था, जिसके बाद परिषद ने यहां स्ववित्तपोषित मकान और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए एमएसएमई भूखंडों की योजना बनाई थी। पिछले साल दीवाली पर 226 स्ववित्तपोषित मकानों की योजना लॉन्च होनी थी, लेकिन अभी तक पंजीकरण की तिथि तय नहीं हो पाई है। इसी तरह 122 एमएसएमई भूखंडों की योजना भी शुरू होनी थी। मगर यह योजना भी अभी तक लॉन्च नहीं हो पाई है।

मंडोला विहार में परिषद के करीब पांच हजार फ्लैट खाली पड़े हैं। करोड़ों रुपये की लागत से तैयार सालों से बने फ्लैट अब खराब भी होने लगे हैं। पहले कनेक्टिविटी न होने और शहर से दूरी के चलते लोग इसमें रुचि नहीं दिखा रहे थे। अब कनेक्टिविटी हो चुकी है तो इन दोनों योजनाओं में हो रही देरी मंडोला विहार को आबाद करने की कवायद में अड़चन बन रही है। दोनों योजनाओं को इसीलिए लाया जा रहा है कि लोग यहां रुचि दिखाएं। एमएसएमई भूखंडों से रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिसके चलते लोग यहां का रुख करेंगे। वहीं अपनी जमीन व मकान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए मकानों की योजना तैयार की गई है।

स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि दोनों योजनाओं का विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भेज दिया है। लखनऊ से ही इन योजनाओं को हरी झंडी मिलेगी, लेकिन मुख्यालय से अभी तक इस संबंध में कोई पत्र नहीं मिला है। सूत्रों की माने तो योजनाओं को शुरू करने के लिए बैंक खाता न खुल पाने से देरी हो रही है। दोनों योजनाओं के लिए मुख्यालय स्तर से ही खाते खोले जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक आवास योजना का खाता खुल चुका है, जबकि एमएसएमई भूखंड वाली योजना का बैंक खाता खुलवाने की प्रक्रिया चल रही है।

दोनों योजनाओं की सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। प्रस्ताव शासन में हैं। मुख्यालय से हरी झंडी मिलते ही इनके पंजीकरण खोल दिए जाएंगे। – नृपेंद्र बहादुर सिंह, संपत्ति प्रबंधक, आवास एवं विकास परिषद।

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