UP Madrasa Act: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी मदरसा एक्ट 2004 संवैधानिक घोषित

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी मदरसा एक्ट 2004 संवैधानिक घोषित
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा वोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक करार देते हुए यूपी मदरसा बोर्ड की वैधता को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन जजों की बेंच ने इस फैसले की पुष्टि की। कोर्ट ने कुछ प्रावधानों को छोड़कर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को संवैधानिक घोषित कर दिया है।
हाई कोर्ट का फैसला खारिज इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च को यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाने का आदेश दिया था। इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को रोक लगा दी थी और मामले की सुनवाई करते हुए 22 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब जारी किया गया है।
इस फैसले का यूपी के 16000 से अधिक मदरसों में पढ़ रहे 17 लाख छात्रों पर सीधा असर पड़ेगा। कोर्ट के इस निर्णय से इन छात्रों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अब यूपी के मदरसे नियमित रूप से चलते रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यूपी मदरसा एक्ट के प्रावधान किसी भी मूल अधिकार या संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन नहीं करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार मदरसों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए आवश्यक रेगुलेशन लागू कर सकती है।
CJI ने कहा कि मदरसा अधिनियम का उद्देश्य मदरसों में निर्धारित शिक्षा के स्तर को मानकीकृत करना है। यह अधिनियम मदरसों के प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करता है बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए राज्य का सकारात्मक दायित्व है। इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ कि राज्य सरकार शिक्षा के मानकों को बनाए रखने के लिए मदरसों का रेगुलेशन कर सकती है, जिससे छात्रों को एक सभ्य जीवनयापन के अवसर मिल सकें।