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पांच साल में 108 बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज

पांच साल में 108 बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज

अमर सैनी

नोएडा। खरीदारों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों के खिलाफ पिछले पांच साल में 108 केस दर्ज किए गए हैं। दो मामलों में कमिश्नरेट पुलिस ने सात बिल्डरों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी की है। यह आंकड़ा कमिश्नरेट पुलिस ने बुधवार को जारी किया।

पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि माफियाओं और संगठित गिरोह के अपराधियों के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में पिछले पांच साल में जिला पुलिस की ओर से बिल्डरों के खिलाफ 108 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें मुख्य रूप से भसीन ग्रुप, मेसर्स प्रीमिया स्ट्रक्चर लिमिटेड, सुपरटेक प्राइवेट लिमिटेड, आम्रपाली प्राइवेट लिमिटेड, वर्धमान बिल्डर्स, एटीएस बिल्डर्स, सिक्का ग्रुप, मेसर्स डीपीएल बिल्डर्स, रुद्रा बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, फ्यूजन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड, अमांडा बिल्डर्स इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, जेड एंड हैवी इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य शामिल हैं। इन बिल्डरों के खिलाफ खरीदारों से धोखाधड़ी करने का केस दर्ज किया गया है। बिल्डरों ने ऑफिस, फ्लैट और दुकान आदि बुक तो कर लिए, लेकिन न तो निर्माण कार्य पूरा किया और न ही कब्जा दिया। आरोपियों ने खरीदारों के पैसे वापस नहीं किए। इतना ही नहीं खरीदारों को ठगने के लिए आरोपियों ने फर्जी तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इसीलिए सेंट्रल नोएडा जोन में 49, ग्रेटर नोएडा जोन में 36 और नोएडा जोन में 23 बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इस दौरान कुल 108 मामलों में से 54 मामलों में 74 बिल्डरों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। दो मामलों में सात के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। जिन लोगों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है, उनमें प्रीमिया प्रोजेक्ट से जुड़े तरुण सिंह, उनकी पत्नी, कृष्णा नागर, सुमित गर्ग और पारस समेत अन्य शामिल हैं। संबंधित अधिकारियों को बाकी मामलों में भी प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

ऐसे मामलों को प्राथमिकता से सुलझाया जाएगा
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस के पास आने वाले ज्यादातर मामलों में पीड़ितों की समस्याएं बिल्डर से जुड़ी होती हैं। पीड़ितों को न्याय दिलाना कमिश्नरेट पुलिस की प्राथमिकता है। अब तक मिली सभी शिकायतों का मूल्यांकन किया जा रहा है। जल्द ही कई अन्य के खिलाफ भी केस दर्ज किए जाएंगे। पुराने मामलों की एक बार फिर समीक्षा की जाएगी। अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके पीछे मकसद यह है कि शहर में बिल्डर किसी तरह की मनमानी न कर पाएं। अगर किसी ने फ्लैट या दुकान के लिए भुगतान किया है तो उसे समय रहते उसका हक मिल जाए।

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