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सहारनरपुर का काष्ठ कला उद्योग युद्ध से प्रभावित हुआ

सहारनरपुर का काष्ठ कला उद्योग युद्ध से प्रभावित हुआ

अमर सैनी
नोएडा। दुनिया में चल रहे दो युद्धों ने सहारनपुर के काष्ठ कला उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया हैं। यहां के हस्तशिल्पकारों का काम लगभग तीस प्रतिशत तक घट गया है। दो हजार करोड़ से अधिक के माल को निर्यात करने वाले उद्यमियों का दावा है कि अब यहां से 13 सौ करोड़ का भी माल निर्यात नहीं हो पा रहा है। उसमें भी खरीदार लगातार दाम घटाने का दबाव बना रहे हैं, जबकि माल भाड़ा लगातार बढ़ रहा है।

ट्रेड शो में सहारनपुर के काष्ठ कला के उद्यमियों और हस्तशिल्पकारों ने भी अपने 40 स्टॉल लगाए हैं। सहारनपुर वुड कार्विंग एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट और लियो आर्ट इंडिया के मालिक तथा निर्यातक परविन्द्र सिंह ने कहा कि इस तरह के मेलों से हस्तशिल्पकारों को नया बाजार और नए खरीददार मिल रहे हैं। यहां पर सहारनपुर के 40 स्टॉल लगे हैं और सभी को अच्छे ऑर्डर मिले हैं। उनके पास अभी तक साउथ अफ्रीका के खरीदार कम आते थे लेकिन इस बार यहां पर साउथ अफ्रीका के खरीदार सबसे अधिक आए हैं। उन्हें सऊदी अरब, दुबई, मैक्सिको, वियतनाम आदि देशों के उद्यमियों ने ऑर्डर दिए हैं। यहां पर फर्नीचर और होम डेकोर के उत्पाद की मांग ज्यादा रही, लेकिन विदेश माल भेजना बहुत महंगा हो गया है। इसका असर उनके पूरे कारोबार पर है। सहारनपुर से दो हजार करोड़ से अधिक का एक्सपोर्ट का काम था, जो अब 13 सौ करोड़ से भी कम है। इसका प्रमुख कारण रूस-यूक्रेन और इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध तथा लाल सागर में मालवाहक पोत पर हो रहे हमले हैं। इनकी वजह से माल भाड़ा बढ़ गया है। यह उद्योग सिमटता जा रहा है, क्योंकि यह उत्पाद लोगों की प्राथमिकता में शामिल नहीं है।

वुड कार्विंग के ही निर्यातक और एआरएम इंटरनेशनल के संचालक मयंक अग्रवाल ने कहा कि दुनिया में चल रहे इन दो युद्धों के कारण माल भाड़ा बढ़ा है। यूरोपीय देश लगातार माल के रेट कम कर रहे हैं, जबकि लागत बढ़ रही है और सरकारी मदद भी नाकाफी है। इससे यह उद्योग सिमट रहा है। यूएस में उनके माल की बिक्री बहुत कम हो गई है। अब दुनिया में वुड कार्विंग के उत्पादों की बिक्री घटी है और इसके स्थान पर लकड़ी के साथ पीतल, स्टील और मिश्रित लोहा के उत्पादों का बाजार बढ़ रहा है। इससे वुड कार्विंग के कारीगर भी परेशान हैं। अगर युद्ध समाप्त होकर एक बार फिर से हालात सामान्य हो तो कारोबार के बढ़ने की उम्मीद है।

ऑटम-2024 से अधिक उम्मीदें

ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में ही 16 से 20 अक्तूबर तक देश के हस्तशिल्पियों का सबसे बड़ा मेला लगने जा रहा है। हालांकि, यह सिर्फ व्यापारियों के लिए ही होगा। इसमें करीब 80 से अधिक देशों के लोग आएंगे, जिसे ऑटम-2024 नाम दिया गया है। यह इस मेले का 58वां संस्करण है। सहारनपुर वुड कार्विंग एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट परविन्द्र सिंह ने बताया कि इस मेले से हस्तशिल्पकारों को सबसे अधिक उम्मीदें रहती हैं और सबसे अधिक विदेशी खरीददार इसी मेले में आते हैं। उम्मीद है कि इस बार भी मेले में बड़ी संख्या में दुनिया भर से खरीददार आएंगे और देश भर से आने वाले हस्तशिल्पियों को यहां पर अच्छे ऑर्डर मिलेंगे। मेले की तैयारियों में सभी हस्तशिल्पी पिछले लंबे समय से जुटे हैं।

फैंसी आइटम: यहां पर बनने वाले फैंसी आइटम की मांग सबसे अधिक यूरोप में हैं। इनमें वॉल हैंगिंग, फोटो फ्रेम, लैंप, लकड़ी के बर्तन, खिलौने, ट्रे और अन्य सजावटी सामान।

फर्नीचर: यहां पर बनने वाले नक्काशी वाले सोफा सेट की भी काफी डिमांड है। इसमें हाथ की कारीगरी अधिक होती है। इसमें अब धातु का भी प्रयोग होने लगा है। इसी तरह के डबल बैड, ड्रेसिंग और डाइनिंग टेबल भी यहां पर बनते हैं।

मंदिर: सहारनपुर में बनने वाले मंदिर भी काफी प्रसिद्ध हैं, जो लकड़ी पर नक्काशी कर बनाए जाते हैं।

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