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RML Hospital Delhi: सरकारी अस्पताल में देश की पहली हाई-टेक न्यूरोमॉड्यूलेशन लैब का शुभारंभ, अब एमआरआई आधारित ब्रेन टार्गेटिंग से मरीजों की रिकवरी तेज

RML Hospital Delhi: सरकारी अस्पताल में देश की पहली हाई-टेक न्यूरोमॉड्यूलेशन लैब का शुभारंभ, अब एमआरआई आधारित ब्रेन टार्गेटिंग से मरीजों की रिकवरी तेज

नई दिल्ली, भारत की चिकित्सा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक और अत्याधुनिक कदम उठाते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में देश की पहली सरकारी हाई-टेक न्यूरोमॉड्यूलेशन लैब का शुभारंभ किया गया। इसके साथ ही अस्पताल में अत्याधुनिक फुट प्रेशर एनालिसिस लैब की भी शुरुआत की गई, जो मरीजों की चलने-संबंधी समस्याओं, संतुलन और पैर पर दबाव के विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह सुविधा अब तक केवल कुछ निजी संस्थानों में उपलब्ध थी, लेकिन अब सरकारी अस्पतालों के मरीज भी अत्याधुनिक तकनीक का लाभ उठा सकेंगे।

लैब का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉ अशोक कुमार द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि नई न्यूरोमॉड्यूलेशन प्रणाली मरीज के एमआरआई स्कैन के आधार पर मस्तिष्क की रियल-टाइम मैपिंग करती है। इस तकनीक से डॉक्टर मस्तिष्क के प्रभावित हिस्सों को अत्यधिक सटीकता से टार्गेट कर सकते हैं। उपचार का यह तरीका पूरी तरह गैर-सर्जिकल है, जिस कारण मरीजों को एनेस्थीसिया, ऑपरेशन या लंबी रिकवरी अवधि की आवश्यकता नहीं पड़ती।

विशेषज्ञों के अनुसार यह तकनीक ब्रेन इंजरी, स्ट्रोक, क्रॉनिक पेन, मूवमेंट डिसऑर्डर, स्पास्टिसिटी और गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगी। उपचार की उच्च प्रेडिक्टेबिलिटी और आउटपुट की सटीकता के कारण मरीजों की रिकवरी पहले की तुलना में अधिक तेज और नियंत्रित होगी। इस अवसर पर मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ विवेक दीवान, अतिरिक्त एमएस डॉ कौशल त्यागी और पीएमआर विभागाध्यक्ष डॉ शिप्रा चौधरी सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित रहे।

उद्घाटन के दौरान डॉ अशोक कुमार ने कहा कि न्यूरोमॉड्यूलेशन लैब की शुरुआत के साथ आरएमएल अस्पताल ने मेडिकल टेक्नोलॉजी और रिहैबिलिटेशन सुविधाओं में राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान स्थापित की है। यह सुविधा आम जनता के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित होगी और भारतीय चिकित्सा जगत में एक प्रमुख बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है।

फुट प्रेशर एनालिसिस लैब: चलने की प्रक्रिया और संतुलन की वैज्ञानिक जांच

नई फुट प्रेशर एनालिसिस लैब में विशेष सेंसर-आधारित तकनीक की मदद से मरीज के पैर पर दबाव, चाल, स्टेबिलिटी, और बैलेंस डिसऑर्डर की गहन जांच संभव होगी। यह तकनीक डायबिटिक फुट मरीजों, खिलाड़ी चोट पीड़ितों और वॉकिंग डिसऑर्डर वाले रोगियों के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि इस विश्लेषण से उपचार और फिजियोथेरेपी प्लान अधिक सटीक बनाए जा सकेंगे।

आरएमएल अस्पताल का कहना है कि दोनों प्रयोगशालाओं की शुरुआत सरकारी अस्पतालों में उन्नत तकनीकी उपचार की भविष्य दिशा तय करेगी और आने वाले समय में अधिक सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में भी इस मॉडल को लागू किया जाएगा।

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