Rakesh Kishore PC: चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने मंदिर में विपश्यना ध्यान करने का ऐलान किया

Rakesh Kishore PC: चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने मंदिर में विपश्यना ध्यान करने का ऐलान किया
रिपोर्ट: रवि डालमिया
वकील राकेश किशोर, जिन पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई पर जूता फेंकने का आरोप है, ने आज एक प्रेस वार्ता कर 5 नवंबर को मध्यप्रदेश के एक मंदिर में खंडित मूर्ति के सामने विपश्यना मेडिटेशन करने का एलान किया। राकेश किशोर ने कहा कि 5 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा है और यह शुभ दिन होने के कारण वे उस दिन ध्यान करने जाएँगे। उन्होंने अपने आह्वान में कहा कि वह सभी सनातनी भाइयों को शांतिपूर्ण रूप से उनके साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित करते हैं।
राकेश किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “जिस तरह से मुझे लोगों का साथ मिल रहा है, मैं उससे खुश और उत्साहित हूँ और चाहता हूँ कि यह किसी भी तरह की हिंसक लड़ाई न बनकर एक मुहिम बने।” उन्होंने स्पष्ट किया कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहेगा और इसका उद्देश्य धार्मिक चिंतन और ध्यान है।
प्रेस वार्ता के दौरान राकेश किशोर ने बताया कि आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज उनके सामुदायिक समर्थन के संकेत के रूप में उनकी सोसाइटी के बाहर जूतों की माला लेकर आए थे, और राकेश ने उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सौरभ जी ने जूतों की माला पहनी और उन्होंने उनका स्वागत किया।
राकेश किशोर ने सीधे तौर पर चीफ जस्टिस बी आर गवई को भी संबोधित किया और कहा कि “गवई साहब मेरे साथ चलें और उसी खंडित मूर्ति के सामने क्षमा माँगे तथा मूर्ति के पुनः निर्माण का आदेश दें। यदि वे ऐसा करते हैं, तो मैं उनके जूते सर पर लेकर परिक्रमा करूँगा।” यह बयान न्यायपालिका और कानून व्यवस्था के प्रति संवेदनशीलता के मद्देनजर विवादास्पद माना जा सकता है।
वहीं, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर इस अघोषित आयोजन और उसके आव्हान को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ मिलने लगी हैं। कुछ समूहों ने इसे धार्मिक प्रदर्शन और ध्यान के रूप में देखा तो कुछ ने इसे संवेदनशील और विवादास्पद कदम बताते हुए सावधानी बरतने की चेतावनी दी है। कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ऐसे आमंत्रण और सार्वजनिक आयोजनों के लिए अग्रिम अनुमति और समन्वय की आवश्यकता होती है।
सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयानों के बाद न्यायपालिका, प्रशासन और स्थानीय मंदिर प्रबंधन के स्तर पर सुरक्षा और अनुमतियों से जुड़ी प्रक्रियाएँ तेज हो सकती हैं। साथ ही, यह भी संभावना है कि संबंधित अदालतों या प्रशासनिक निकायों से कोई प्रतिक्रियात्मक निर्देश या प्रतिक्रिया आ सकती है, विशेषकर यदि आयोजन संवेदनशील स्थान पर हो या कानून-व्यवस्था पर प्रभाव डालने की आशंका हो। राकेश किशोर द्वारा दिया गया यह सार्वजनिक आह्वान और उनके चौंकाने वाले बयान मीडिया और सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर चर्चा का विषय बने हुए हैं, और आने वाले दिनों में 5 नवंबर के संदर्भ में स्थिति और प्रतिक्रियाएँ सामने आ सकती हैं।
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