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पंजाब ए.आई.एफ स्कीम के तहत प्रोजेक्टों को मंज़ूरी देने में देश में अग्रणीय:चेतन सिंह जौड़ामाजरा

पंजाब ए.आई.एफ स्कीम के तहत प्रोजेक्टों को मंज़ूरी देने में देश में अग्रणीय:चेतन सिंह जौड़ामाजरा

रिपोर्ट :कोमल रमोला

चंडीगढ़, 2 जुलाई: मुख्य मंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार राज्य में कृषि बुनियादी ढांचा फंड (ए.आई.एफ) को उत्साहित करने में लगातार मिसाली कदम उठा रही है। प्रदेश ने ए.आई.एफ स्कीम के अंतर्गत सबसे अधिक स्वीकृत प्रोजेक्टों से लगातार कई महीनों से भारत में अपना पहला स्थान बरकरार रखा हुआ है। यह जानकारी आज यहां बाग़वानी मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने दी।

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि सबसे ज़्यादा प्रोजेक्ट मंज़ूर करने वाले देश के टॉप दस ज़िलों में पंजाब के 9 ज़िले शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब ने किसानों के कल्याण के लिए 14199 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। यह उपलब्धि न सिर्फ ए.आई.एफ की योजना के तहत पंजाब की स्थिति को मज़बूत करती है, बल्कि राज्य में कृषि-पक्षीय प्रगतिशील वातावरण और फसल कटाई के बाद के प्रबंधन संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास को भी दर्शाती है।

बता दें कि सबसे अधिक परियोजनाओं को मंज़ूरी देने वाले शीर्ष 10 ज़िलों में छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद, महाराष्ट्र) ने 1828 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है, जबकि शेष 9 ज़िले पंजाब के हैं, 1575 परियोजनाओं के साथ ज़िला बठिंडा, 1464 परियोजनाओं के साथ लुधियाना, 1440 परियोजनाओं के साथ पटियाला, 1439 परियोजनाओं के साथ संगरूर, 1367 परियोजनाओं के साथ फ़ाजिल्का, 1100 परियोजनाओं के साथ श्री मुक्तसर साहिब, 758 परियोजनाओं के साथ फिरोज़पुर, 723 परियोजनाओं के साथ मानसा और 681 परियोजनाओं के साथ ज़िला मोगा ने स्थान लिया है।

इस संबंधी अधिक जानकारी देते हुए स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि पंजाब में 14199 परियोजनाओं के ज़रिए किसान और कृषि उद्यमी राज्य में 5938 करोड़ रुपए के भारी निवेश करेंगे। उन्होंने कहा कि ए.आई.एफ योजना के तहत, फसल कटाई के बाद की प्रबंधन गतिविधियों में सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें प्राथमिक प्रसंस्करण (आटा चक्की, तेल निकालने की मशीनें, मसाला प्रसंस्करण, मिलिंग आदि), भंडारण सुविधाएं (जैसे गोदाम, कोल्ड स्टोर, साइलोज़ आदि), कस्टम हायरिंग केंद्र (न्यूनतम 4 उपकरण), छंटाई और ग्रेडिंग इकाई, बीज प्रसंस्करण इकाई, जैविक सामग्री उत्पादन, फसल अवशेष प्रबंधन प्रणालियां, कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र, सौर पंप, राईपनिंग चैंबर आदि शामिल हैं। इसके अलावा योजना के तहत मौजूदा पात्र बुनियादी ढांचे के लिए सौर पैनलों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने में भी सहायता दी जाती है।

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि बाग़वानी विभाग, पंजाब में ए.आई.एफ. के लिए राज्य नोडल एजेंसी (एस.एन.ए) के रूप में कार्य कर रहा है, जिसने योजना के प्रावधानों के अनुसार एक समर्पित परियोजना निगरानी इकाई (पी.एम.यू) की स्थापना की है। इसके अलावा किसानों तक पहुंच बढ़ाने के लिए एक व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर (90560-92906) भी शुरू किया गया है और नियमित अपडेट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि राज्य की प्रभावी रैंकिंग एस.एन.ए, पी.एम.यू और विभिन्न साझेदारों के बीच बेहतर समन्वय को दर्शाती है। इसी तरह राज्य के बैंक भी ए.आई.एफ योजना के तहत परियोजनाओं को बढ़ावा देने और मंज़ूरी देने में अनुकरणीय योगदान दे रहे है, जिसके कारण किसानों और कृषि-उद्यमियों को वित्तीय सहायता तक आसान पहुंच मिल रही है और फसल कटाई के बाद की प्रबंधन परियोजनाओं को स्थापित करने में पर्याप्त मदद मिल रही है।

इसी दौरान निदेशक बाग़वानी एवं ए.आई.एफ की राज्य नोडल अधिकारी श्रीमती शलिंदर कौर ने बताया कि ए.आई.एफ योजना के तहत लाभार्थी 7 वर्षों के लिए 2 करोड़ रुपए तक के सावधि ऋण पर 3% तक ब्याज सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि अधिकतम 9 प्रतिशत ब्याज दर के साथ, लागू ब्याज दर 6 प्रतिशत या उससे कम बनती है। इन लाभों को सभी राज्य और केंद्रीय सब्सिडियों के साथ जोड़ा जा सकता है और परियोजना सी.जी.टी.एम.एस.ई स्कीम के अंतर्गत लाभ लिया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पी.ए.सी.एस) के लिए राज्य में सार्वजनिक बुनियादी ढांचा स्थापित करने का सुनहरा अवसर है। नाबार्ड द्वारा ए.आई.एफ को एम.एस.सी योजना के रूप में पी.ए.सी.एस के साथ जोड़कर पी.ए.सी.एस द्वारा 1 प्रतिशत की प्रभावी ब्याज दर पर ऋण प्राप्त किया जा सकता है।

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