नई दिल्ली, 1 नवम्बर : राजधानी दिल्ली में आतिशबाजी पर प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने दिवाली पर जमकर बम -पटाखे चलाए। इस दौरान शहर के अलग -अलग इलाकों में लगभग 300 से अधिक लोग पटाखों और दीयों से जलने के कारण झुलस गए, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 246 था। वहीं, अनेक घायलों को इस वर्ष भी आईसीयू में भर्ती करना पड़ा।
दिवाली पर आतिशबाजी के कारण झुलसे और घायल लोगों को एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया, लोकनायक, गुरु तेग बहादुर और हेडगेवार अस्पताल के बर्न विभाग में भर्ती कराया गया जहां अधिकांश लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। मगर, 21 मरीज अब भी भर्ती हैं जिनका इलाज अस्पतालों में जारी है। इस दौरान सफदरजंग अस्पताल में सर्वाधिक 135 मरीज पहुंचे। जो 30 से 31 अक्तूबर के बीच पटाखे से जलने के कारण अस्पताल पहुंचे थे। इनमें 18 मरीज 30 अक्टूबर को और 117 मरीज 31 अक्टूबर को अस्पताल में आए। अस्पताल की प्रवक्ता पूनम ढांडा ने बताया कि इनमें से 24 मरीजों को ज्यादा जलने के कारण अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती करना पड़ा। जलने वाले मरीजों में 86 मरीज पटाखों से और 31 मरीज दीयों से जले हैं। वहीं, पांच मरीजों का हाथ फट गया था, उनकी सर्जरी की गई है।
उधर, दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 44 मरीज इलाज के लिए पहुंचे, जिनमें से 9 मरीजों की हालत गंभीर है। उन्हें बर्न वार्ड में भर्ती किया गया है। बाकी मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डा समीक भट्टाचार्य ने बताया कि भर्ती किए गए मरीजों में छह बच्चे हैं, जिसमें दो किशोर शामिल हैं। अस्पताल में भर्ती नौ में से तीन मरीजों की हालत ज्यादा गंभीर है। इसमें से एक मरीज 45 प्रतिशत तक झुलस गया है। दूसरा मरीज को 35 प्रतिशत जला है। इस मरीज का चेहरा भी जल गया है। तीसरा मरीज को 25 प्रतिशत बर्न है और जांघ के आसपास का हिस्सा जल गया है। घायलों में छह महिलाएं और 38 पुरुष शामिल थे। जीटीबी अस्पताल में कुल 33 लोग दिवाली पर घायल होने के बाद पहुंचे। इनमें चार को भर्ती करना पड़ा। लोकनायक में 28 लोग जलने की वजह से अस्पताल आए। वहीं एम्स के नेत्र अस्पताल में कुल 36 लोग आंखों में चोट के साथ देर रात तक अस्पताल पहुंचे।
एम्स दिल्ली के बर्न विभाग में भी 48 मरीजों को भर्ती कराया गया जिनमें से 19 मरीजों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। इनमें से भी 11 की हालत बेहद गंभीर है। इनमें 10 वर्ष से कम उम्र के 3 बच्चे और 60 वर्ष से अधिक 2 बुजुर्ग घायल तथा 10 से 25 वर्ष के बीच 22 मरीज शामिल है। पटाखों से संबंधित आग से झुलसने के मामलों की संख्या 32 है, जिसमें से 6 बच्चे और 4 वयस्क 25 से 60 वर्ष की आयु के हैं। इसके अलावा अन्य आग से संबंधित मामलों में 6 मरीज शामिल हैं। पटाखों में इस्तेमाल होने वाले पोटाश से जलने के मामलों की संख्या 10 है, जिनमें से 6 मरीज 10 से 25 वर्ष के हैं। दिल्ली के भीतर से 35 मरीज, एनसीआर से 8 (जिनमें से 5 गुड़गांव से और 5 मरीज अन्य राज्यों से आए हैं) आंखों में चोट व जलन के मामलों की संख्या 11 है, जबकि हाथों में जलने की घटनाओं की संख्या 19 है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आतिशबाजी के दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखने की अपील की है।
गंधक और पोटाश से भी हुए घायल
दिल्ली में आतिशबाजी करने पर बैन के चलते जिन लोगों को बम-पटाखे नहीं मिले, उन्होंने गंधक और पोटाश का इस्तेमाल करके दिवाली मनाई। ऐसे 10 घायलों को एम्स दिल्ली की इमरजेंसी में लाया गया जो गंधक और पोटाश की वजह से घायल हुए थे। आरएमएल अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में भी ऐसे मामले पहुंचे जिनमें पाइप के जरिये गंधक और पोटाश के मिश्रण से धमाका करने के दौरान पाइप फटने के कारण घायल होने वाले मरीज शामिल रहे। इन सभी के हाथ बुरी तरह जख्मी हुए हैं।
किस अस्पताल में पहुंचे कितने घायल ?
सफदरजंग अस्पताल : 135
एम्स बर्न विभाग : 48
राम मनोहर लोहिया : 44
जीटीबी अस्पताल: 33
एम्स नेत्र अस्पताल : 36
लोकनायक अस्पताल : 28