नई दिल्ली, 16 अक्तूबर : राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण में इजाफा होने के साथ सांस, त्वचा, कान -नाक -गला, आंख और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके चलते राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक विशेष क्लीनिक की शुरुआत की गई है।
इस क्लीनिक को अस्पताल के ओपीडी विभाग के कमरा नंबर 1 से 5 में स्थापित किया गया है जो ‘प्रदूषण जनित रोग निवारण केंद्र’ के नाम से मरीजों को प्रत्येक सोमवार दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक अपनी विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करेगा। डिपार्टमेंट ऑफ रेस्पिरेटरी मेडिसिन के एचओडी और क्लीनिक इंचार्ज डॉ अमित सूरी ने कहा कि आरएमएल दिल्ली का पहला अस्पताल है, जहां प्रदूषण को लेकर स्पेशल क्लीनिक चलाया जा रहा है। यहां प्रदूषण की वजह से बीमार होने वाले मरीज इलाज के लिए आ सकते हैं। साथ ही सांस, अस्थमा, फेफड़े या अन्य किसी रेस्पिरेटरी डिजीज से पीड़ित ऐसे मरीज भी आ सकते हैं जिनकी बीमारी प्रदूषण की वजह से बढ़ गई है।
डॉ सूरी के मुताबिक मरीजों की सुविधा के लिए विशेष क्लीनिक में रेस्पिरेटरी, स्किन स्पेशलिस्ट, आई स्पेशलिस्ट, ईएनटी और साइकेट्रिसट समेत पांच विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे। चूंकि वायु प्रदूषण से प्रभावित मरीजों की अधिकांश समस्याएं इन्हीं विभागों से संबंधित होती हैं। ऐसे में मरीज को एक विभाग से दूसरे और फिर तीसरे -चौथे विभाग में नहीं जाना पड़ेगा। उसे प्रदूषण संबंधी रोगों का निदान एक ही छत के नीचे मिल सकेगा। वहीं, जिन मरीजों को उक्त पांच समस्याओं के अलावा अन्य समस्याओं (डायबिटीज, हाइपरटेंशन या अन्य कोई बीमारी) से पीड़ित पाया जाएगा। उनके लिए संबंधित डॉक्टर को तत्काल ऑन कॉल बुलाया जाएगा।
जरुरत पड़ने पर बढ़ाया जाएगा क्लीनिक का समय
डॉ अमित सूरी ने कहा, अभी इस क्लीनिक को शुरू ही किया गया है। अगर प्रदूषण की वजह से आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती है तो इसमें डॉक्टरों की संख्या से लेकर क्लीनिक का समय और दिन भी बढ़ाए जा सकते हैं। इस क्लीनिक को शुरू करने का उद्देश्य ही यही है कि प्रदूषण की वजह से जो भी दिक्कतें हो रही हैं, उन सभी का इलाज एक ही जगह मिल सके। यह क्लीनिक दिल्ली में प्रदूषण स्तर के बने रहने तक चलाने की योजना है।
धूल-मिट्टी और धुएं वाली जगहों पर जाने से करें परहेज
दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण के दौरान लोगों को अपनी सेहत का ध्यान रखने की जरूरत है। खासकर अस्थमा, सोओपीडी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी से पीड़ित मरीजों को सावधानी बरतने की जरूरत है। प्रदूषण से बचाव के लिए, धूल-मिट्टी और धुएं वाली जगहों से जाने से परहेज करें। खानपान का ध्यान रखें और अगर लगातार खांसी या सांस लेने में परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से सलाह लें। इस मामले में बिल्कुल भी लापरवाही न करें।
प्रदूषण से बचाव बाबत आमजन के लिए परामर्श
जिन लोगों को पहले से फेफड़ों की बीमारी है, उनको प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से गंभीर बीमारी हो सकती है। लम्बे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से सामान्य लोगों में सांस संबंधी बीमारी हो सकती है|
जोखिम में कौन है?
बुज़ुर्ग, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, पुरानी बीमारियों जैसे सांस, हृदय इत्यादि रोगों से पीड़ित लोग।
जो लोग अपने व्यवसाय के कारण बहुत अधिक समय बाहर बिताते हैं जैसे कि रिक्शा चालक, ऑटो रिक्शा चालक, पटरी और टपरी वाले आदि।
क्या करें?
✅अनावश्यक बाहर न निकलें
✅अवश्यकता पड़ने पर जब भी बाहर निकलें तो N-95 मास्क का उपयोग करें
✅साधारण कपड़े के मास्क प्रदूषण से बचाने में कारगर नहीं हैं
✅साँस ,फेफड़े या हृदय की बीमारियों पीड़ित लोग नियमित रूप से अपनी दवाएं खाएं एवं डॉक्टर की सलाह से टीकाकरण करवाएं
✅खाना पकाने और गर्म करने के लिए स्वच्छ धुआं रहित गैस या बिजली का उपयोग करें
✅सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें
क्या न करें?
❌भारी यातायात वाले स्थानों या निर्माण स्थलों पर न जाएं
❌सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद दौड़ने, टहलने या किसी भी शारीरिक व्यायाम के लिए बाहर न जाएं
❌ जब प्रदूषण ज्यादा हो तो दरवाज़े और खिड़कियां न खोलें
❌धूम्रपान या तम्बाकू उत्पादों का सेवन न करें
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