अमर सैनी
नोएडा।जिले में गुरुवार को भी भीषण गर्मी का दौर जारी रहा। इस बीच 15 लोगों की मौत हो गई। पुलिस और स्थानीय लोगों ने उनको लू लगने की आशंका जताई है। इन शवों को पुलिस अलग-अलग स्थानों से पोस्टमार्टम के लाई थी। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इससे इनकार किया है। वहीं, मंगलवार को नौ लोगों की मौत हो गई थी। उनको भी लू लगने की आशंका जताई गई थी। जिला अस्पताल में चार लोगों को इलाज के लिए लाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। 10 से 15 ऐसे शवों का पोस्टमार्टम किया गया, जिनकी मौत कार्डियक अरेस्ट और अन्य बीमारियों से हुई थी। आम तौर पर बीमारी से मौत की हालत में पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। ये मौतें भी संदिग्ध थीं। यही कारण है कि इन शवों का पोस्टमार्टम किया गया। इनमें से कई को पुलिस अलग-अलग अस्पतालों में इलाज के लिए ले गई थी। स्वास्थ्य विभाग के जन स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमित कुमार ने बताया कि लू से मौत का एक भी मामला पंजीकृत नहीं हुआ है। सभी अस्पतालों से लू से मौत की स्थिति में जानकारी अवश्य देने के निर्देश दिए गए हैं। मौतों के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। इसकी समीक्षा भी स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। वहीं, जिला प्रशासन ने आमजन के लिए लू से बचाव को एडवाइजरी जारी की है। लोगों को अधिक से अधिक पानी पीने, सूती वस्त्रत्त् पहनने, धूप के चश्मे लगाने, सिर ढंककर बाहर निकलने की सलाह दी गई है। साथ ही, घर में बने पेय पदार्थ का सेवन करें। अस्पताल में प्रतिदिन एक से दो मरीज गंभीर अवस्था में पहुंचते हैं, जिनकी पहुंचने से पहले या बाद में मौत हो जाती है। शहर के सबसे बड़े सेक्टर-94 शमशान प्रतिदिन 30 से 35 के बीच शव पहुंच रहे हैं। शमशान घाट प्रबंधन ने बताया कि आम दिनों की तुलना में कुछ शव बढ़े हैं, लेकिन अभी दिक्कत नहीं है। इसके अलावा जिले में गांवों में भी शमशान घाट है। वहां पर एक से दो शव ही पहुंच रहे हैं। सीएमओ डा. सुनील शर्मा ने का कहना है कि जिले में अभी तक स्ट्रीक से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है। मौत के अलग-अलग कारण हैं।
अस्पताल में लंबी लाइन
लू और रिकॉर्ड गर्मी के कारण नोएडा में तीन दिन में 50 लोगों की मौत हो गई है। गुरूवार को जिला अस्पताल की इमरजेंसी में मरीजों की लाइनें लगी रहीं। वहीं, सेक्टर-94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस पर सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना अधिक शव लाए गए। आलम यह था कि डीप फ्रीजर की व्यवस्था न होने से शवों को खुले में जमीन पर रखना पड़ा। डॉक्टरों की टीमें देर रात तक पोस्टमार्टम करने में जुटी रहीं। सामान्य दिनों में एक डॉक्टर की ड्यूटी ही पोस्टमार्टम के लिए स्वास्थ्य विभाग लगाता है, लेकिन अब तीन डॉक्टरों की ड्यूटी यहां लगाई गई है। पोस्टमार्टम हाउस की हालत को देखकर हर कोई सिहर गया। चार से अधिक शव रखने की व्यवस्था यहां नहीं है। ऐसे में खुले में ही शवों को रखकर छोड़ दिया गया। आवारा कुत्तों के इधर-उधर घूमने से शवों के क्षत-विक्षत होने की आशंका भी बनी रही। यह स्थिति तब थी जब सुबह नौ बजे से ही डॉक्टर लगातार पोस्टमार्टम करने में जुटे हुए थे। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, 28 शव पोस्टमार्टम के लिए यहां लाए गए। मंगलवार को भी 23 पोस्टमार्टम यहां कराए गए थे। मंगलवार से ही मौत का आंकड़ा अचानक बढ़ा है। इसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लू के प्रकोप से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, 28 में से सात शव सड़क दुर्घटना, चार फंदा लगाने और तीन हृदय गति रुकने की वजह से मौत से जुड़े हैं। बाकी 14 शव लू व गर्मी से जान गंवाने वालों के बताए जा रहे हैं। हालांकि, अभी भी लू से मौत के आंकड़े को स्वास्थ्य विभाग शून्य ही बता रहा है। नोडल अधिकारी डॉ. अमित कुमार सिंह का कहना है कि लू से मौत को लेकर सर्वे कराया जा रहा है। इससे सही आंकड़ा सामने आएगा। गर्मी से तबीयत खराब होने और मेडिकल हिस्ट्री होने पर इसे लू से मौत नहीं कहा जा सकता है। पोस्टमार्टम हाउस पर अव्यवस्थाओं की हकीकत भी सामने आ गई। शवों को रखने के लिए डीप फ्रीजर तक का इंतजाम नहीं है। कोल्ड रूम भी मौजूद नहीं है। ऐसे में शवों को खुले में ही छोड़ना पड़ा। पिछले दिनों पोस्टमार्टम हाउस में शव रखने की अव्यवस्था पर सवाल उठने के बाद चार में से एक डीप फ्रीजर को ठीक करा दिया गया था। इससे चार शव रखने की व्यवस्था ही हो पाई थी। जबकि आपदा प्रबंधन के नियमों के तहत यहां न्यूनतम 20 शव रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। डिप्टी सीएमओ डॉ. जैसलाल का कहना है कि पोस्टमार्टम के लिए शव अचानक से बढ़े हैं। ऐसे में एक की जगह तीन डॉक्टर पोस्टमार्टम हाउस पर काम कर रहे हैं। सुबह 9 बजे से रात 10:30 बजे तक डाॅक्टर पोस्टमार्टम कर रहे हैं। पोस्टमार्टम हाउस पर डीप फ्रीजर की क्षमता बढ़ाने के लिए बजट अनुमति मिल गई है। जल्दी ही 14 शव रखने की व्यवस्था हो जाएगी। इसके अलावा सीएसआर फंड से एक एनजीओ की मदद से कोल्ड रूम भी यहां बनाया जाना है। इससे आपदा के समय शवों को सुरक्षित रखा जा सकेगा।