नई दिल्ली, 27 सितम्बर: देश में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) की समस्या में लगातार इजाफा होने के चलते सरकार की चिंता में भी वृद्धि हो रही है। यह समस्या एक मूक महामारी की तरह समाज में तेजी से फैल रही है। इस रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एनएएफएलडी के संशोधित परिचालन दिशानिर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी किए।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि भारत में एनएएफएलडी तेजी से एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहा है, जो मोटापे, मधुमेह और हृदय रोगों जैसे चयापचय विकारों से निकटता से जुड़ा हुआ है। भारतीय आबादी में 10 में से एक से तीन लोगों को एनएएफएलडी हो सकता है, जो रोग के प्रभाव को उजागर करता है। चंद्रा ने कहा, एनएएफएलडी के संशोधित संस्करण से स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को मरीजों की देखभाल और उपचार परिणामों को बेहतर बनाने में मदद मिल सकेगी।
ओएसडी पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों को जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक पहुँचाने की आवश्यकता है ताकि रोग का जल्द पता लगाया जा सके और एनएएफएलडी का बोझ कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण मॉड्यूल का विमोचन भारत में एनसीडी के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच क्षमता निर्माण का अतिरिक्त प्रयास है। इस अवसर पर अतिरिक्त सचिव एल एस चांगसन और इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) के निदेशक डॉ एसके सरीन प्रमुख रूप से मौजूद रहे।