नई दिल्ली: एम्स ने अग्नाशय के दुर्लभ कैंसर से पीड़ित बच्ची को कीहोल सर्जरी से दिलाई निजात
नई दिल्ली: - 11 वर्षीय बच्ची के अग्नाशय में पनप रहा था दुर्लभ कैंसर का ट्यूमर

नई दिल्ली, 29 मार्च : अग्नाशय के दुर्लभ कैंसर से पीड़ित बच्ची को एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने कीहोल सर्जरी के माध्यम से नया जीवन प्रदान किया है। इसके साथ ही वह ‘टोटल लेप्रोस्कोपिक व्हिपल’ तकनीक से सर्जरी कराने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की पहली महिला मरीज बन गई है।
एम्स के बाल चिकित्सा सर्जरी के प्रो डॉ अंजन कुमार धुआ ने बताया कि झारखंड के गढ़वा की रहने वाली इस बच्ची (11 वर्ष) को लगातार पेट में दर्द हो रहा था। जांच के बाद एक दुर्लभ अग्नाशय ट्यूमर का पता चला। इसे सॉलिड स्यूडोपैपिलरी एपिथेलियल नियोप्लाज्म (एसपीईएन) कहा जाता है। इसके इलाज के लिए जटिल व्हिपल प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। इसमें अग्नाशय और पाचन तंत्र के एक महत्वपूर्ण हिस्से को शल्य चिकित्सा से निकालना और पुनर्निर्माण करना होता है। अग्नाशय पेट के अंदर स्थित एक छोटा महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर में महत्वपूर्ण अंगों को आपूर्ति करने वाली कई प्रमुख रक्त वाहिकाओं को घेरे रहता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक पारंपरिक सर्जरी के दौरान मरीज के पेट पर बहुत लंबे कट लगाए जाते हैं जिससे मरीज को दर्दनाक स्थिति से गुजरना पड़ता है। साथ ही पेट पर एक बड़ा निशान बन जाता है। जबकि दुर्लभ कीहोल सर्जरी में ऑपरेटिंग टीम को केवल चार छोटे चीरों का ही उपयोग करना पड़ा। इनमें दो चीरे सिर्फ 5 मिलीमीटर साइज के और दो अन्य चीरे 10 मिलीमीटर साइज के रहे। इस सर्जरी में मरीज का खून भी कम (करीब 80 मिलीलीटर) कम बहा। जबकि पारंपरिक सर्जरी में रक्त की काफी हानि होती है। यह पूरी सर्जरी साढ़े आठ घंटे चली।
लेप्रोस्कोपिक व्हिपल से सर्जरी करना था काफी जटिल
डॉ धुआ ने बताया कि लेप्रोस्कोपिक व्हिपल से यह सर्जरी करना काफी जटिल था। शरीर के महत्वपूर्ण वाहिकाओं से निकटता के कारण, अग्नाशय से जुड़ी शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से मरीज को परेशानी हो सकती थी। ऐसे में सटीकता और सावधानीपूर्वक ध्यान देने की जरूरत थी। इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं रख सकते थे। महत्वपूर्ण कारकों पर विचार करने के बाद ऑपरेटिंग टीम ने लेप्रोस्कोपिक व्हिपल तकनीक से सर्जरी करने का फैसला किया।
मरीज की हालत में हो रहा सुधार
डॉक्टर धुआ ने बताया कि सटीकता से की गई सर्जरी के बाद मरीज की सेहत में सुधार हो रहा है। सर्जरी के बाद मरीज को बेहद कम दर्द की स्थिति से गुजरने और कम समय तक अस्पताल में भर्ती रहने के कारण सहज और आरामदायक रिकवरी करने में मदद मिली है। साथ ही छोटे लेप्रोस्कोपिक चीरों के कारण कॉस्मेटिक रूप से सुखद परिणाम मिले हैं।