Noida PNB Scam Case: नोएडा के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले की सुनवाई, अदालत ने 22 दिसंबर की अगली तारीख तय की

Noida PNB Scam Case: नोएडा के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले की सुनवाई, अदालत ने 22 दिसंबर की अगली तारीख तय की
नोएडा। नोएडा में पंजाब नेशनल बैंक से फर्जी तरीके से रुपये निकालने से जुड़े बहुचर्चित बैंक धोखाधड़ी मामले की सुनवाई सीबीआई अदालत में जारी है। इस मामले में मंगलवार को अभियुक्तों के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर विस्तृत बहस हुई। बहस सुनने के बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 22 दिसंबर 2025 निर्धारित की। इस मामले में जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने विस्तृत आरोपपत्र दाखिल किया है, जिसके आधार पर अभियुक्तों पर धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश रचने का आरोप लगाया गया है।
CBI से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मेसर्स लूम्बिया ओवरसीज के प्रोपराइटर गौरव चौधरी और सह-अभियुक्त मेसर्स सिद्धि विनायक एंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर सुबोध कुमार उर्फ सुबोध त्यागी ने मिलकर बैंक को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया। आरोप है कि दोनों आरोपियों ने बिना किसी वास्तविक व्यापारिक गतिविधि के, झूठे लेन-देन दिखाकर बैंक खातों से धनराशि ट्रांसफर की और इस प्रक्रिया में बैंक को 22 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
मामला तब उजागर हुआ जब बैंक रिकॉर्ड की जांच के दौरान पाया गया कि 23 फरवरी 2016 को मेसर्स बालाजी एंटरप्राइजेज के नाम से PNB से मेसर्स लूम्बिया ओवरसीज के खाते में 4.75 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे। इसके अलावा, जांच में यह भी सामने आया कि दोनों आरोपियों ने अलग-अलग तिथियों पर अलग खातों का उपयोग करते हुए 8 लाख रुपये और 9.30 लाख रुपये की गलत तरीके से एंट्री कराई। आरोप है कि इस पूरे लेन-देन में पहचान छिपाने के लिए कूटरचित दस्तावेजों (forged documents) का इस्तेमाल किया गया, और झूठा व्यापार दिखाकर बैंक को ठगने की कोशिश की गई।
CBI ने बताया कि यह केवल एक साधारण बैंक लेन-देन में गड़बड़ी का मामला नहीं है, बल्कि संगठित आपराधिक योजना का परिणाम है, जिसमें आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी, और बैंक चिटफंड कानूनों के उल्लंघन से जुड़े गंभीर आरोप शामिल हैं। अदालत ने इस घोटाले की गंभीरता और नुकसान की राशि को देखते हुए जल्द सुनवाई की आवश्यकता जताई है और अगली तारीख पर मामले की विस्तृत सुनवाई होगी, जिसके बाद अदालत आगे की कार्रवाई तय करेगी।
इस प्रकरण को नोएडा और आसपास के वित्तीय संस्थानों द्वारा भी बारीकी से देखा जा रहा है, क्योंकि इसका सीधा संबंध बैंकिंग सुरक्षा और वित्तीय अनुशासन से है। स्थानीय व्यापारिक समुदाय और बैंकिंग विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में कड़े कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए जिससे भविष्य में इस प्रकार की धोखाधड़ी पर रोक लगाई जा सके।
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