Noida murder case: पशु व्यापारी की हत्या मामले में आरोपी को बड़ा झटका, सत्र अदालत ने जमानत याचिका खारिज की

Noida murder case: पशु व्यापारी की हत्या मामले में आरोपी को बड़ा झटका, सत्र अदालत ने जमानत याचिका खारिज की
नोएडा के दनकौर थाना क्षेत्र में पशु व्यापारी की हत्या के सनसनीखेज मामले में आरोपी अवनीश नागर को अदालत से बड़ा झटका लगा है। सत्र अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं और मौजूदा तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को जमानत देना उचित नहीं होगा।
अभियोजन के अनुसार, इस मामले में वादी यूसुफ ने 25 सितंबर 2025 को थाना दनकौर में एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि उसका भाई मोहम्मद पशुओं के व्यापार से जुड़ा हुआ था। 23 सितंबर को मोहम्मद के पास एक फोन कॉल आया, जिसके बाद वह बाइक से घर से निकला था। जाते समय वह अपने साथ करीब एक लाख रुपये नकद भी लेकर गया था। देर शाम तक वापस न लौटने पर परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका।
अगले दिन मोहम्मद का शव जंगल में खून से लथपथ हालत में बरामद हुआ। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर कई गंभीर चोटों की पुष्टि हुई, जिनमें चाकू से किए गए वार के स्पष्ट निशान पाए गए। इससे यह साफ हुआ कि मोहम्मद की बेरहमी से हत्या की गई थी।
पुलिस जांच में सामने आया कि मृतक और आरोपी के बीच पहले से विवाद चला आ रहा था। अभियोजन का आरोप है कि इसी रंजिश के चलते आरोपी अवनीश नागर ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर मोहम्मद की हत्या की और सबूत मिटाने के इरादे से शव को जंगल में फेंक दिया।
जमानत की सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत में दलील दी कि तथाकथित ‘लास्ट सीन’ के गवाहों के बयान घटना के दो दिन बाद दर्ज किए गए हैं और शुरुआती दस्तावेजों में आरोपी का नाम कहीं दर्ज नहीं था। इसके अलावा, बरामदगी के समय कोई स्वतंत्र सार्वजनिक गवाह मौजूद नहीं था, जिससे पुलिस की कार्रवाई संदेह के घेरे में आती है।
वहीं अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि गवाहों के बयान, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य आरोपी की संलिप्तता की ओर स्पष्ट रूप से इशारा करते हैं। अभियोजन ने तर्क दिया कि आरोपी को जमानत मिलने से गवाहों को प्रभावित किए जाने और मामले की जांच प्रभावित होने की आशंका है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और केस रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद सत्र अदालत ने माना कि यह हत्या का गंभीर मामला है और आरोपी को जमानत देना न्यायहित में नहीं होगा। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।





