Mamata Banerjee speech: बंगाल में बीएसएफ के खिलाफ विरोध की अपील: ममता बनर्जी बोलीं—‘महिलाएं आगे आएं, अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाएं’

Mamata Banerjee speech: बंगाल में बीएसएफ के खिलाफ विरोध की अपील: ममता बनर्जी बोलीं—‘महिलाएं आगे आएं, अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाएं’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कूच बिहार के राशलीला मैदान में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए सीमावर्ती इलाकों में सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा किए जा रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ व्यापक विरोध की अपील की। उन्होंने खास तौर पर राज्य की महिलाओं को आगे आकर नेतृत्व करने को कहा। ममता ने कहा कि वह देखना चाहती हैं कि बंगाल की महिलाएं भाजपा से जुड़ी महिलाओं से कहीं अधिक मजबूत और निर्भीक साबित हों। उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि केंद्रीय एजेंसियों से डरने की जरूरत नहीं है और किसी भी प्रकार की शिकायत पर पुलिस त्वरित कार्रवाई करेगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार के रहते राज्य में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं खुलेगा और किसी को भी वापस नहीं भेजा जाएगा।
उन्होंने जून में बीरभूम के मुरारई के पैकर गांव की उस घटना का जिक्र किया, जिसमें छह लोगों को बीएसएफ ने संदिग्ध बांग्लादेशी बताते हुए सीमा पार भेज दिया था। ममता ने दावा किया कि उनमें से एक गर्भवती महिला और उसका बेटा वापस लौट चुके हैं, जबकि उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज मौजूद थे। उन्होंने इसे मतदाता सूची में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं और जीवित लोगों को मृत दिखाया जा रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाया कि एसआईआर प्रक्रिया इतनी तेजी से क्यों चलाई जा रही है और अगले साल की विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा अंतिम सूची जारी होते ही की जा सकती है।
कूच बिहार में प्रशासनिक समीक्षा बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद मनरेगा और आवास योजनाओं की देय राशि बंगाल को जारी नहीं कर रही, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंच रहा है। मंच से केंद्र द्वारा भेजा गया एक पत्र फाड़ते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार रोजगार योजनाओं पर अनुचित शर्तें लगा रही है और बंगाल का गला घोंटने की कोशिश कर रही है।
ममता बनर्जी की यह आक्रामक रणनीति स्पष्ट करती है कि सीमावर्ती सुरक्षा, मतदाता सूची संशोधन और केंद्र-राज्य टकराव अब बंगाल की राजनीति के केंद्र में आ चुके हैं। राज्य में आने वाले महीनों में यह मुद्दा और भड़क सकता है।





