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नोएडा मुआवजा घोटाले की जांच 3 सदस्यीय कमेटी करेगी

नोएडा मुआवजा घोटाले की जांच 3 सदस्यीय कमेटी करेगी

अमर सैनी

नोएडा। नोएडा प्राधिकरण में अतिरिक्त मुआवजा वितरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच को खारिज कर दिया है और सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज की निगरानी में जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं। यह कमेटी पूरे मामले की दोबारा जांच करेगी।समिति में शामिल पुलिसकर्मी भले ही यूपी कैडर के हों, लेकिन वे यूपी के निवासी नहीं होने चाहिए। कोर्ट यह मानने को तैयार नहीं है कि इस मामले में केवल दो याचिकाकर्ता अधिकारी ही शामिल रहे हैं। नोएडा का कोई अन्य अधिकारी कथित दुरुपयोग, गबन और सरकारी धन के गबन में शामिल नहीं पाया गया है।

जैसा कि एसआईटी जांच रिपोर्ट उनके समक्ष रखी गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्राधिकरण अतिरिक्त मुआवजा पाने वाले किसी भी किसान के खिलाफ बल प्रयोग नहीं कर सकता। न ही उनका नाम भविष्य में दर्ज होने वाली एफआईआर में शामिल किया जा सकता है। नोएडा प्राधिकरण में मुआवजा वितरण मामले में एसआईटी ने 180 पन्नों की रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में तीन अफसरों ने मिलकर प्राधिकरण को करीब 1 अरब 17 करोड़ 56 लाख 95 हजार 40 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण में 1 अप्रैल 2009 से 2023 तक कुल 15 साल तक मुआवजा वितरण से जुड़ी कुल 1198 फाइलों की जांच की। जिसमें कुल 20 मामलों में अनियमितताएं पाई गईं। अपनी रिपोर्ट में एसआईटी ने शुरुआत में 12 और बाद में 8 नए मामले सामने आने की बात कही। रिपोर्ट में लिखा गया कि नोएडा प्राधिकरण पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं थी, फिर भी किसानों से समझौता कर लिया गया। नोएडा प्राधिकरण के विधि विभाग के जूनियर असिस्टेंट, असिस्टेंट लॉ ऑफिसर और लॉ ऑफिसर ने किसानों से मिलीभगत करके अतिरिक्त पैसे थमा दिए।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एसआईटी का गठन
दरअसल यह जांच तब शुरू हुई जब गेजा-तिलपताबाद के मुआवजा वितरण में अनियमितता का मामला सामने आया। 14 सितंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी और सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह अनियमितता सिर्फ लॉ ऑफिसर के स्तर पर नहीं हो सकती। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए। तब राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था। जिसके बाद यह जांच की गई। इस टीम में हेमंत राव के साथ मेरठ की मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी जे, अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन डीके ठाकुर भी थे।

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