
New Delhi (मिताली चंदोला, एडिटर, स्पेशल प्रोजेक्ट्स) : देश के लिए कर्तव्यपथ पर अडिग, हजारों पुलिसकर्मी हर वर्ष अपनी जान न्योछावर कर देते हैं — और यही भावना आज भी भारतीय पुलिस बल की पहचान है। पुलिस स्मृति दिवस पर इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका ने जब यह आंकड़ा साझा किया कि स्वतंत्रता के बाद से अब तक 36,684 पुलिसकर्मी देश सेवा में शहीद हुए हैं, तो यह सिर्फ एक संख्या नहीं रही — यह उस वर्दी के पीछे की अनकही कहानी बन गई।
तपन डेका ने कहा कि यह बलिदान भारत की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ है। “हमारे पुलिसकर्मी सीमाओं से लेकर समाज के हर कोने तक, हर दिन जनता की सुरक्षा के लिए खतरे से जूझते हैं। उनका त्याग और साहस हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत है।”
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि समय के साथ अपराध की प्रकृति बदली है — अब खतरे साइबर दुनिया और वैचारिक संघर्षों से भी हैं। ऐसे में, पुलिस बल को नई तकनीकों, खुफिया सहयोग और आधुनिक प्रशिक्षण से सशक्त बनाना समय की मांग है।
डक्का ने कहा, “यह दिन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि संकल्प का है — कि हर शहादत व्यर्थ न जाए। हर पुलिसकर्मी का साहस, हर परिवार का धैर्य, हमारे राष्ट्रीय चरित्र की बुनियाद है।”
राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में आयोजित समारोह में देशभर के वरिष्ठ अधिकारी, सुरक्षा बलों के प्रतिनिधि और शहीद परिवारों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।





