
नई दिल्ली, 24 मार्च : विश्व टीबी दिवस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ जेपी नड्डा ने कहा, यह दिवस महज औपचारिकता नहीं वास्तविकता है। उन्होंने कहा, आज दुनिया टीबी से निपटने के इंडिया मॉडल को ना सिर्फ मान रही है। बल्कि टीबी मुक्त होते भी देख रही है।
उन्होंने टीबी नियंत्रण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों और एनएचएम निदेशकों को विज्ञान भवन में पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इसके साथ ही पिछले 100 दिन से देशभर में जारी टीबी जांच अभियान का समापन हो गया। जेपी नड्डा ने कहा देशभर में टीबी या तपेदिक संभावित इलाकों में 12.97 करोड़ लोगों की जांच करने के बाद सरकार को ना सिर्फ टीबी के करीब नौ लाख नए मरीजों को ढूढ़ने में कामयाबी मिली है। बल्कि दो लाख लक्षण रहित टीबी के मरीजों की पहचान करने में भी सफलता मिली है। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय दो लाख टीबी मरीजों के गायब होने से चिंतित था। यह एक बड़ी कामयाबी है जो कोविड महामारी के आगमन के कारण दो साल के लिए शिथिल हो गई थी।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा जो 2020 में कोविड महामारी के आगमन के कारण करीब दो साल के लिए शिथिल हो गया था। लेकिन जब पीएम ने कहा, हम टीबी को खत्म कर सकते हैं और हमें करना पड़ेगा। उनके शब्दों ने एक नए उत्साह का संचार किया और आज विभिन्न विभागों के सहयोग से हम टीबी नियंत्रण के मामले में दुनिया में अव्वल बने हुए हैं। इसमें किफायती दर वाले मॉलिक्युलर टेस्ट के साथ एआई आधारित एक्सरे मशीन और आईसीएमआर का विशेष योगदान रहा है।
उन्होंने बताया कि वर्ल्ड टीबी रिपोर्ट के मुताबिक टीबी नियंत्रण का वैश्विक आंकड़ा 8.3% है जबकि हम 7.7% पर हैं। वहीं टीबी के इलाज के मामले में दुनिया 59% सफल हुई है और भारत 85% सफल हुआ है। इस सफलता के पीछे निक्षय मित्र और निक्षय पोषण योजना के साथ जन भागीदारी की भी बड़ी भूमिका है जिसे निजी क्षेत्र के सहयोग से विस्तारित करने में सरकार को काफी मदद मिली है। इन परिणामों के साथ केंद्र सरकार अब दोगुने उत्साह से टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने में जुट गई है। जिसमें राज्य सरकारों को जोड़ा जाएगा।
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