
नई दिल्ली, 28 मई : केंद्र सरकार ने थल सेना, नौसेना और वायुसेना कमान के लिए मंगलवार को नए नियम अधिसूचित किए हैं। ताकि तीनों सेनाएं एक साथ मिलकर आसानी से और अधिक कुशलता से काम कर सकें। ये नियम 27 मई से लागू हो गए हैं।
उक्त नियमों को अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023 नामक कानून के तहत लागू किया गया है। इस अधिनियम को संसद ने 2023 में पारित किया था जिसे राष्ट्रपति ने 15 अगस्त 2023 को मंजूर किया गया। यह 10 मई 2024 को लागू हुआ। इस कानून का उद्देश्य वरिष्ठ अधिकारियों को उन इकाइयों की बेहतर कमान और नियंत्रण लेने की अनुमति देना है जहां एक से अधिक सेवाओं (जैसे सेना, नौसेना या वायु सेना) के सैनिक एक साथ काम कर रहे हैं। इस कानून की आधिकारिक घोषणा रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव और नौसेना के रियर एडमिरल विक्रम मेनन ने मंगलवार को की।
अब तक सेना, नौसेना और वायु सेना कर्मियों के लिए अलग-अलग नियम लागू होते थे। लेकिन संयुक्त संगठनों में जहां तीनों सेनाएं एक साथ काम करती हैं – जिन्हें अंतर-सेवा संगठन (आईएसओ) कहा जाता है – इससे कभी-कभी निर्णय लेने में भ्रम या देरी होती है, खासकर अनुशासन या दिन-प्रतिदिन के काम को संभालने में।
नए नियम इस प्रकार हैं:
वे स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं कि अंतर-सेवा संगठन क्या है और इसका प्रभारी कौन है।
यदि कोई वरिष्ठ अधिकारी छुट्टी पर है या अनुपलब्ध है, तो कोई अन्य व्यक्ति आधिकारिक रूप से कार्यभार संभाल सकता है, ताकि नेतृत्व के बारे में कोई भ्रम न रहे।
प्रभारी अधिकारी अब अपने अधीन किसी भी कार्मिक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं तथा प्रशासनिक कार्य संभाल सकते हैं – चाहे वह सेना, नौसेना या वायु सेना से हो।
यदि कोई ऐसा मुद्दा सामने आता है जो नियमों के अंतर्गत नहीं आता तो उसे अंतिम निर्णय के लिए केन्द्र सरकार के पास भेजा जाएगा।
उक्त नियम अधिसूचित होने के बाद कानून के रूप में पूरी तरह लागू हो गया है। इसका मतलब है कि अब निर्णय जल्दी होंगे, अनुशासनात्मक मामलों में देरी कम होगी और संयुक्त सैन्य अभियानों में बेहतर समन्वय होगा।