दिल्लीभारत

नई दिल्ली: सेना के डॉक्टरों ने पैदाइशी बहरी बच्ची को प्रदान की सुनने की शक्ति 

नई दिल्ली: -ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट करने के साथ ही सेना अस्पताल बना देश का प्रमुख ईएनटी केंद्र

नई दिल्ली, 16 जुलाई : पैदा होने के बाद से कोई भी आवाज सुनने में अक्षम एक मासूम बच्ची की श्रवण शक्ति बहाल करके आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है।

दरअसल, भारतीय सेना में सेवारत एक सैनिक की 1 साल 8 महीने की मासूम बच्ची जन्म से ही बहरी या आवाज सुनने में असमर्थ थी। मेडिकल जांच के दौरान पता चला कि मासूम ‘मिशेल अप्लासिया’ रोग से पीड़ित है जो कान की जन्मजात और दुर्लभ विकृति है। इसमें मरीज के कान में श्रवण तंत्रिका मौजूद नहीं होती है। अप्लासिया से पीड़ित बच्चों में सुनने की क्षमता में कमी या पूरी तरह से बहरापन हो सकता है। इसके अलावा, उन्हें चलने -फिरने, खड़े होने के दौरान संतुलन बनाने में भी परेशानी हो सकती है।

सेना अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ और पद्मश्री प्रो. डॉ. मोहन कामेश्वरन ने मासूम की श्रवण शक्ति बहाल करने के लिए ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट लगाने का फैसला किया। डॉ. कामेश्वरन और उनकी टीम द्वारा इम्प्लांट प्रत्यारोपित करने के बाद मासूम की आवाज सुनने की क्षमता बहाल हो गई। अब वह ना सिर्फ स्वस्थ है। बल्कि सभी प्रकार की आवाज भी सुन पा रही है। यानि उसका पैदाइशी बहरापन दूर हो गया है। इसके साथ ही सेना अस्पताल देश के उन गिने-चुने केंद्रों में से एक बन गया है जहां यह जटिल सर्जरी की जाती है।

क्या है एबीआई ?
ऑडिटरी ब्रेनस्टेम इम्प्लांट या एबीआई एक ऐसा उपकरण है जो कान से बहरे लोगों का बहरापन दूर करता है। उन्हें आवाज सुनने लायक बनाता है, खासकर उन लोगों को जिनकी श्रवण तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो गई है या काम नहीं कर रही है। यह प्रत्यारोपण कोक्लिया (आंतरिक कान) और श्रवण तंत्रिका को बायपास करके सीधे मस्तिष्क के श्रवण भाग, यानी मस्तिष्क स्टेम को उत्तेजित करता है।

कैसे काम करता है एबीआई ?
एबीआई उपकरण में दो भाग होते हैं, एक बाहरी भाग (प्रोसेसर) और एक आंतरिक भाग (इम्प्लांट)। प्रोसेसर को कान के पास पहना जाता है। ये माइक्रोफोन का उपयोग करके ध्वनि तरंगों को पकड़ता है और उन्हें विद्युत संकेतों में बदलता है। ये संकेत फिर इम्प्लांट को भेजे जाते हैं, जो त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित होता है और मस्तिष्क स्टेम में एक इलेक्ट्रोड सरणी से जुड़ा होता है। यह इलेक्ट्रोड सरणी मस्तिष्क स्टेम के श्रवण केंद्र को उत्तेजित करती है, जिससे मरीज के कान में आवाज पहुंचती है।

 

Related Articles

Back to top button