नई दिल्ली: प्रसव पीड़ा से पीड़ित को अस्पताल ने नहीं किया भर्ती, गाड़ी में जन्मा बच्चा
नई दिल्ली: -स्वामी दयानंद अस्पताल ने आनन-फानन में महिला और नवजात को किया भर्ती
नई दिल्ली, 22 जनवरी : प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिला को स्वामी दयानंद अस्पताल में दाखिला न मिलने से महिला का प्रसव गाड़ी में ही हो गया। हालांकि, घटना की जानकारी मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन ने आनन फानन में जच्चा और बच्चा को अस्पताल में भर्ती कर लिया। अब दोनों की हालत स्थिर है।
इस संबंध में पीड़ित महिला के परिजनों का कहना है कि हमने डॉक्टरों से काफी मिन्नतें की लेकिन बेड खाली नहीं होने का हवाला देकर महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया। पीड़ित महिला जैसे ही पार्किंग में खड़ी गाडी में पहुंची, तभी बच्चा पैदा हो गया। दरअसल, दिल्ली के मीत नगर में रहने वाली आशा को सोमवार की रात अचानक लेबर पेन शुरू हो गया। दर्द से कराह रही आशा को देखकर उनके पति जीतू और कुछ दोस्त तुरंत उन्हें नजदीकी स्वामी दयानंद अस्पताल ले गए। गाड़ी में आशा को काफी पेन हो रहा था। जब वे अस्पताल पहुंचे तो उन्हें यह कहकर भर्ती करने से मना कर दिया कि उनके पास कोई बेड खाली नहीं है। अपनी पत्नी को दर्द में देखकर जीतू ने अस्पताल में मौजूद स्टाफ को मामले की नजाकत समझाने की कोशिश की, लेकिन उनकी एक बात नहीं सुनी गई। आखिर में हार मानकर जीतू अपनी पत्नी को वापस पार्किंग में खड़ी गाड़ी में ले गए। उन्हें मजबूरी में दूसरे अस्पताल ले जा रहे थे कि बच्चा गाड़ी में ही पैदा हो गया।
इस बीच परिजनों के आग्रह और बच्चे के रोने की आवाज सुनकर अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी व्हीलचेयर लेकर गाड़ी के पास आए। उन्होंने तुरंत प्रसूता आशा और उसके नवजात शिशु को अस्पताल में भर्ती किया। उधर, स्वामी दयानंद अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ नरोत्तम दास ने कहा, यह हाई रिस्क मामला था। महिला को दौरे यानी फिट की शिकायत थी। इस तरह के मरीज को आईसीयू बेड की जरूरत होती है और हमारे पास आईसीयू बेड खाली नहीं थे। हमने मरीज के परिजन को समझाने की कोशिश की थी। वह वापस जाने वाले थे, उसी समय लेबर पेन ज्यादा हो गया और बच्चा गाड़ी में ही हो गया। हालांकि तुरंत डॉक्टर पहुंच गए थे और फिर इस मामले को हैंडल किया। फिलहाल नवजात और मां की हालत ठीक है। उन्होंने बताया कि आईसीयू में छह बेड है। हम बेड की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे है, लेकिन बात नहीं बन पा रही है। अस्पताल में इंफ्रास्ट्रेक्चर की काफी कमी है। डॉक्टर चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते हैं।