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नई दिल्ली: ओरल कैंसर की बायोप्सी 15 मिनट में ! 

नई दिल्ली: -एम्स दिल्ली के सीडीईआर ने आईआईटी दिल्ली संग विकसित किया अत्याधुनिक माइक्रोस्कोप

नई दिल्ली, 19 सितम्बर : एम्स दिल्ली ने एक ऐसा स्वदेशी उपकरण विकसित किया है, जो ना सिर्फ ओरल कैंसर या मुंह के कैंसर की ‘बायोप्सी’ रिपोर्ट महज 15 मिनट में तैयार कर देता है। बल्कि मौजूदा विदेशी उपकरणों से संपन्न ‘बायोप्सी’ टेस्ट की दरों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा किफायती सेवा भी प्रदान करता है।

प्रोफेसर डॉ. दीपिका मिश्रा ने बताया कि एम्स के डेंटल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर ने आईआईटी दिल्ली के सहयोग से एक ऐसा अभिनव मल्टीमॉडल और मल्टी स्पेक्ट्रल डिवाइस विकसित किया है, जो फ्लुओरेसेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी पर आधारित है। यह उन्नत तकनीक मुख कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान करने में सक्षम है, जिससे समय पर उपचार और रोगियों की जान बचाने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, यह डिवाइस एक अत्याधुनिक माइक्रोस्कोप है जो एआई आधारित तकनीक की मदद से ओरल कैंसर की सटीक जांच महज 15 मिनट में संपन्न कर सकता है। आमतौर पर बायोप्सी की रिपोर्ट आने में कुछ दिनों से लेकर एक से दो सप्ताह तक का समय लग जाता है। लेकिन नए डिवाइस से तैयार रिपोर्ट मरीज के समय और पैसे दोनों की बचत करेगी। साथ ही इलाज की प्रक्रिया (कैंसर की पुष्टि होने पर) शुरू करने में भी तेजी लाएगी।

इस डिवाइस को विकसित करने में डॉ. वरुण सूर्या, प्रो. दलीप सिंह मेहता, डॉ. प्रमिला थापा, डॉ. अतुल कुमार, हिमांशु जोशी और गौरव पंत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिससे कैंसर निदान की प्रक्रिया को अधिक सुलभ और सटीक बनाने में मदद मिलेगी। डॉ. वरुण और डॉ. अतुल के मुताबिक यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित और कम लागत वाला विशेष उपकरण है जो पारंपरिक आयातित सूक्ष्मदर्शी से बेहतर परिणाम देता है। उन्होंने कहा, आयातित सूक्ष्मदर्शी बहुत महंगे होते हैं और भारत में उनकी मरम्मत भी संभव नहीं हो पाती है। हमारा मल्टीमॉडल सूक्ष्मदर्शी आयातित सूक्ष्मदर्शी की तुलना में ना सिर्फ 10 गुना सस्ता है। बल्कि एआई और मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर के जरिये मल्टी स्पेक्ट्रल ऑटोफ्लोरोसेंस और फ्लोरोसेंस छवियों का विश्लेषण करने में भी सक्षम है। जो हमारे सिस्टम का एक अतिरिक्त लाभ है। उन्होंने बताया कि ओरल कैंसर के बाद अन्य कैंसर के बायोप्सी टेस्ट पर कार्य शुरू किया जाएगा।

24.6% की दर से बढ़ रहा है ओरल कैंसर
देश में ओरल कैंसर या मुंह के कैंसर के लिए बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी आदि तंबाकू उत्पादों के सेवन को जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि ओरल कैंसर के रोगियों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है, लेकिन 2025 तक मुंह और जीभ के कैंसर के कुल अनुमानित मामले 1,50,668 होने की संभावना है। यह संख्या 2016 से 24.6% की वृद्धि के तौर पर अनुमानित है और मुख कैंसर सम्बन्धी घटना दर घटना पर आधारित है। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि जानलेवा कैंसर रोग की पहचान शुरुआती स्तर पर होने से पीड़ित के बहुमूल्य जीवन की रक्षा आसान हो जाती है। वहीं अंतिम चरण में पहचान होने पर इलाज कठिन हो जाता है।

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