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नई दिल्ली: महिला जीवन को लील रहा ब्रेस्ट कैंसर

नई दिल्ली: -स्क्रीनिंग, शुरुआत पहचान और बिना देरी इलाज के जरिये कैंसर को मात

नई दिल्ली, 23 फरवरी : अगर पिता को प्रोस्टेट कैंसर है तो बेटी ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हो सकती है और अगर मां को ब्रेस्ट कैंसर है तो उसकी बेटी करीब दोगुने खतरे में हो सकती है। लिहाजा, परिवार में प्रोस्टेट या ब्रेस्ट कैंसर पीड़ित मरीज है तो अगली पीढ़ी को, विशेष कर महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरुरत है।

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग की प्रो डॉ कुसुम मीणा ने कहा, ब्रेस्ट कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में बीमारी और मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है, सभी नए कैंसर मामलों में से एक-चौथाई और महिलाओं में कैंसर से होने वाली सभी मौतों में से करीब 15% मौतें ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती हैं। ऐसे में महिलाओं को स्व निरीक्षण के जरिये ट्यूमर का पता लगाना चाहिए। अगर ब्रेस्ट या बगल में कोई गांठ, गिल्टी या ट्यूमर हो तो उपेक्षा न करें। यह छोटा हो या बड़ा, दोनों ही सूरतों में सेहत के लिए गंभीर मामला है।

डॉ कुसुम ने कहा, स्क्रीनिंग के जरिए न सिर्फ ब्रेस्ट ट्यूमर का शुरुआती पता लगाया जा सकता है बल्कि मृत्यु दर में भी कमी लाई जा सकती है। कैंसर स्क्रीनिंग का मतलब किसी व्यक्ति में बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही उसकी कैंसर जांच कराना है। इससे असामान्य ऊतक या कैंसर का पता जल्दी लग जाता है। जिससे इलाज और रोगी की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन देश में अधिकतर लोगों में इसका पता ही तब चल पाता है जब कैंसर कोशिकाएं बहुत अधिक बढ़ चुकी होती हैं।

उन्होंने कहा, जब आपका डॉक्टर स्क्रीनिंग टेस्ट कराने का सुझाव देता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कैंसर है। स्क्रीनिंग टेस्ट तब किए जाते हैं जब आपको कैंसर के कोई लक्षण नहीं दिखते। लेकिन पारिवारिक इतिहास, आयु, वजन, शराब का सेवन, बीआरसीए 1 और बीआरसीए2 जैसे जीनों में बदलाव की जानकारी से कैंसर की पहचान हो जाती है। कैंसर पुष्टि के बाद मरीज को तुरंत इलाज मिलना शुरू हो जाता है और वह ठीक हो सकता है। हालांकि,आखिरी के चरणों में इस रोग का इलाज कठिन हो जाता है।

क्या होता है स्क्रीनिंग में ?
स्क्रीनिंग के दौरान डॉक्टर महिला के शारीरिक परीक्षण के साथ पारिवारिक इतिहास की जानकारी एकत्र करते हैं। जिसमें बीमारी के लक्षणों की जांच के साथ गांठ, गिल्ठी, घाव, स्त्राव या अन्य असामान्य बदलावों का पता लगाया जाता है। इसके अलावा शरीर के ऊतक, रक्त , मूत्र या अन्य पदार्थों के नमूनों के परीक्षण और मैमोग्राम किए जाते हैं। साथ ही आनुवंशिक परीक्षण (जींस टेस्ट) के जरिये कोशिकाओं या ऊतकों का विश्लेषण करते हैं। रोगी के जीन या गुणसूत्रों में बदलाव इस बात का संकेत हो सकते हैं कि वह विशिष्ट बीमारी से पीड़ित है या होने का खतरा है।

क्या है बचाव ?
महिलाओं को किशोरावस्था यानि प्यूबर्टी से ही सेल्फ ब्रेस्ट इंस्पेक्शन सिखाया जाए। अगर परिवार में कोई नजदीकी रिश्तेदार कैंसर से पीड़ित रहा हो तो विशेष सतर्कता बरतें और 25 वर्ष की आयु से चिकित्सकीय परामर्श लेना शुरू कर दें। अन्य मामलों में 30 वर्ष की आयु से प्रतिवर्ष क्लीनिकल एक्सपर्ट से जांच करानी शुरू कर दें। चूंकि सावधानी ही बचाव है।

क्या है इलाज ?
डॉ मीणा ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर व अन्य कैंसर के लिए करीब छह तरह के आधुनिक उपचार उपलब्ध हैं। इनमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, टारगेट थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कैंसर पीड़ित को उसके रोग की स्थिति के मुताबिक छह में से किन्ही तीन तरीकों से उपचार दे सकते हैं। उन्होंने बताया, 2022 के आंकड़ों के मुताबिक देश में कैंसर के कुल 14.61 लाख मरीज हैं जिनकी संख्या नियमित रूप से बढ़ रही और यह दक्षिण -पूर्व एशिया में तेज गति से फैल रहा है।

क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले?
देश में कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे अनेक कारण हैं। जिनमें जीवनशैली में बदलाव, पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण, बीमारी का देर में पता चलना, तंबाकू और शराब का ज्यादा सेवन शामिल है। धूम्रपान और शराब के सेवन से महिलाओं-पुरुषों दोनों में कैंसर के खतरे को बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और ब्रेवरीज के सेवन के अलावा खाने में पोषक तत्वों की कमी होना अन्य कारण हैं। इसके अलावा मोटापा भी कैंसर के बढ़ते खतरे के पीछे एक कारक माना जाता है।

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