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नई दिल्ली: एचएमपीवी न नया न घातक, सामान्य फ्लू जैसा : AIIMS

नई दिल्ली: -यह 1950 से दुनिया में मौजूद, सीरो सर्वे के दौरान ब्लड सैंपल में मिल चुके हैं एंटीबॉडी

नई दिल्ली, 6 जनवरी: ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के संक्रमण और दुष्प्रभाव को लेकर देश में अफरा-तफरी का माहौल है। कोई इसे कोविड 19 जैसा घातक बता रहा है तो कोई इसे नया वायरस बता रहा है। लेकिन देश के प्रतिष्ठित और भरोसेमंद चिकित्सा संस्थान एम्स दिल्ली के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एचएमपीवी न नया है और न घातक है। यह एक सामान्य फ्लू जैसा है जो एक दो हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाता है।

एम्स दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ संजय राय ने सोमवार को कहा कि एचएमपीवी खतरनाक वायरस नहीं है। सर्दियों में इसका प्रकोप सिर्फ भारत और चीन में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में रहता है लेकिन इससे ज्यादा डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। इसका असर बहुत मामूली रहता है। डॉ राय ने कहा, यह सामान्य सर्दी- जुकाम जैसा है जिससे संक्रमित व्यक्ति को नाक बहने, गले में खराश, खांसी और बुखार जैसी दिक्कत होती है। यह एक सेल्फ लिमिटिंग डिजीज है जो एक से दो हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाती है।

1950 के दशक से दुनिया में मौजूद है एचएमपीवी
डॉ संजय राय के मुताबिक एचएमपीवी 1950 के दशक से दुनिया में मौजूद है जिसका पहला मामला 2001 में सामने आया था। तब से अब तक यानि पिछले 20-25 सालों में एचएमपीवी का दुष्प्रभाव घातक या जानलेवा साबित नहीं हुआ है। इससे डरने की नहीं, सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जब नए और पुराने (50 के दशक में सुरक्षित किए गए सैंपल) ब्लड सैंपल की सीरो जांच की गई तो पुराने सैंपल में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस की एंटीबॉडी पाई गई थी। यानि यह वायरस तब भी मौजूद था। डॉ राय ने कहा, यह आरएनए वायरस है जिसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। अगर ये बदल जाता है तो दिक्कत हो सकती है।

दवा या टीका उपलब्ध नहीं
भले ही यह वायरस दुनिया में 50 के दशक से मौजूद है लेकिन इसकी कोई दवाई अब तक नहीं बन सकी है और न ही इसका कोई टीका उपलब्ध है।

क्या है बचाव के उपाय ?
एचएमपीवी संक्रामक रोग है जो खांसी या छींक के साथ मुंह व नाक से निकलने वाली छोटी बूंदों (ड्रॉपलेट) से फैलता है। इससे बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से तीन फीट की दूरी रखने के साथ साबुन व पानी से बार -बार हाथ धोने, नाक व मुंह को कवर करने वाले मास्क लगाने और अपने आस-पास स्वच्छता रखने की जरूरत है।

कौन हो सकता है संक्रमित ?
पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे, 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति को एचएमपीवी संक्रमण होने का खतरा है। लेकिन इनमें से भी कुछ ही लोग संक्रमित हो सकते हैं।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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