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नई दिल्ली: दिल्ली में टीबी मरीजों की संख्या में इजाफा !

नई दिल्ली: -पिछले साल के मुकाबले अधिक आ रहे टीबी मरीज, निजी अस्पतालों में उतार-चढ़ाव

नई दिल्ली, 25 मार्च: राजधानी दिल्ली में ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी की बीमारी अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि टीबी नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। लेकिन सरकारी अस्पतालों में टीबी मरीजों की संख्या में वृद्धि कुछ और ही कह रही है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या में उतार -चढ़ाव देखने को मिल रहा है।

केंद्र सरकार की निक्षय मुहिम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2025 की एक जनवरी से 24 मार्च तक दिल्ली में टीबी के कुल 18040 मामले सामने आए है, जबकि पिछले साल इसी अवधि (1 जनवरी से 24 मार्च) में 17435 मामले दर्ज किए गए थे। इन आंकडों से पता चलता है कि टीबी के मामलों में थोड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। सरकारी अस्पतालों की बात करें तो कुतुब विहार स्थित एलआरएस चेक्ट क्लीनिक में सबसे ज्यादा 3507 मरीज आए है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 3082 मरीज आए थे। इसी तरह एनडीएमसी में इस साल 1349 मामले सामने आए, जबकि पिछले साल 1363 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि एनडीएमसी में मामले थोड़े कम है, लेकिन एलआरएस जैसे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी चिंताजनक है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में एसपीएचएच क्लीनिक में इस साल टीबी के 872 मामले दर्ज हुए है, जबकि पिछले साल 794 मामले सामने आए थे। यहां भी मरीजों की संख्या में इजाफा देखा गया है। हालांकि कुछ प्राइवेट अस्पतालों में मामले कम हुए हैं।

क्या है टीबी से बचाव के तरीके?
डॉक्टरों के मुताबिक टीबी एक फैलने वाली बीमारी है, इसके बैक्टीरिया हवा के जरिए फैलते हैं, इसलिए खांसते या छींकते समय मुंह को ढकना चाहिए। नियमित रूप से हाथ धोना भी जरूरी है। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं। संक्रमित व्यक्ति को मास्क पहनना चाहिए, ताकि बैक्टीरिया दूसरों तक न फैले। नियमित एक्सरसाइज और पूरी नींद लेकर इम्युनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है। मजबूत इम्युनिटी टीबी के बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है। धूम्रपान और शराब से परहेज करना चाहिए, ये फेफड़ों को कमजोर करते हैं और टीबी के खतरे को बढ़ाते हैं। आपको टीबी के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर जांच और इलाज से टीबी को फैलने से रोका जा सकता है। किसी व्यक्ति को टीबी हो जाए, तो उसे नियमित रूप से दवाएं लेनी चाहिए और पूरी अवधि तक लेनी चाहिए। इलाज बीच में छोड़ने से बैक्टीरिया इम्युनिटी विकसित कर लेते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है।

क्लीनिक सरकारी अस्पताल(2024) प्राइवेट अस्पताल(2024) सरकारी अस्पताल(2025) प्राइवेट अस्पताल(2025)
बिजवासन 395 431 461 427
बीजेआरएम चेस्ट क्लीनिक 442 770 420 446
बीएसए चेस्ट क्लीनिक 818 114 936 243
चेस्ट क्लीनिक नरेला 562 279 591 260
डीडीयू चेस्ट क्लीनिक 679 328 786 325
जीटीबी चेस्ट क्लीनिक 920 175 961 028
गुलाबी बाग 178 030 171 050
हेडेगेवार चेस्ट क्लीनिक 463 123 410 136
झंडेवालान 219 101 231 106
करावल नगर 634 143 532 135
किग्जवें कैंप 767 176 792 206
एनएल चेस्ट क्लीनिक 1115 039 1134 051
एलआरएस 3082 184 3507 227
एमएनसीएच चेस्ट क्लीनिक 928 038 908 230
मोती नगर 739 292 728 294
एनडीएमसी 1363 109 1349 093
नेहरु नगर 869 963 1104 797
पटपडगंज 741 302 847 201
आरके मिशन 038 330 084 337
आरटीआरएम चेस्ट क्लीनिक 380 151 264 129
एसजीएम चेस्ट क्लीनिक 634 038 693 113
शाहदरा 480 379 459 173
एसपीएम मार्ग 164 227 232 275
एसपीएमएच चेस्ट क्लीनिक 400 794 259 872
सीडी चेस्ट क्लीनिक 425 155 440 196
कुल 17435 6671 18040 6350

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