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नई दिल्ली: डेस्कटॉप पर सीधी रहेगी नजर तो गर्दन पर नहीं पड़ेगा असर

नई दिल्ली: - गर्दन और पीठ दर्द की समस्या को बढ़ा रहा डेस्कटॉप का गलत कोण

नई दिल्ली, 29 दिसम्बर : ऑफिस या कार्यस्थल पर घंटों बैठकर काम करने वाले लोगों में पीठ दर्द व गर्दन दर्द एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है जिसके पीछे बैठने की खराब मुद्रा और कंप्यूटर (डेस्कटॉप व लैपटॉप) का सही कोण पर न रखा होना प्रमुख कारण हैं।

यह जानकारी राम मनोहर लोहिया अस्पताल के फिजियोथेरेपी विभाग की अध्यक्ष डॉ पूजा सेठी ने दी। इसके साथ ही उन्होंने ऑफिस में बैठने के दौरान वर्क टेबल या डेस्क बदलने की बात भी कही। उन्होंने कहा, लंबे समय तक एक ही दिशा और पोश्चर (मुद्रा) में बैठकर काम करने से भी कमर के निचले हिस्से, पीठ और गर्दन पर बुरा असर पड़ता है। डॉ सेठी ने कहा, आप अपने ऑफिस में डेस्कटॉप (कंप्यूटर) को ऐसे स्थान पर रखें जहां आपकी नजर स्क्रीन पर बिलकुल सीधी पड़े और आपको अपनी गर्दन ज्यादा झुकानी न पड़े। यानि कंप्यूटर आपकी आंखों के सामने 90 डिग्री के कोण पर स्थित होना चाहिए।

डॉ सेठी ने कहा, आजकल पीठ दर्द और गर्दन दर्द की समस्याओं में काफी इजाफा हो रहा है जिसके चलते लगभग प्रत्येक छठे घर में पीठ और गर्दन दर्द से पीड़ित मरीज मौजूद हैं। यह किसी भी व्यक्ति को, किसी भी उम्र में हो सकता है और लंबे समय तक दर्द का बना रहना गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकता है। उन्होंने एक अध्ययन के हवाले से बताया कि, साल 1990 के बाद से दुनिया भर के लोगों में पीठ दर्द की समस्या में 60% तक का इजाफा तो हुआ है। हालांकि, 90% मामलों में पीठ दर्द का कोई बड़ा कारण नहीं मिलता है लेकिन जिन 10 % मामलों में पीठ दर्द की वजह सामने आती है, उनमें मांसपेशियों में खिंचाव, बैठने की खराब मुद्रा, डिस्क समस्या, ऑस्टियोआर्थराइटिस, साइटिका, अनियमित शारीरिक गतिविधि, मोटापा, ऑस्टियोपोरोसिस और मानसिक तनाव आदि शामिल हैं।

डॉ सेठी ने कहा, अगर पीठ या गर्दन में दर्द की समस्या तीन महीने से अधिक समय तक बनी रहती है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है। इस समस्या के समाधान के लिए आरएमएल अस्पताल में मरीजों को आधुनिक मशीन की मदद से अल्ट्रासोनिक और लेजर उपचार दिया जाता है। इसके अलावा कोबरा पोज और कैमल पोज सहित कई व्यायाम करने का परामर्श दिया जाता है ताकि दर्द दोबारा न लौटे। यानि पीठ दर्द या कमर दर्द के मरीजों को नजदीकी अस्पताल में मौजूद हड्डी रोग विशेषज्ञ या फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करना चाहिए।

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