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नई दिल्ली: देश की महिला रोजगार दर में दोगुना इजाफा

नई दिल्ली: -देश के आर्थिक परिवर्तन की कहानी में अग्रणी भूमिका निभा रहीं महिलाएं

नई दिल्ली, 25 अगस्त : महिलाएं अब न केवल भागीदार हैं, बल्कि भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ भी हैं। आज, महिलाएं विकास की राह पर अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और मोदी सरकार एक ऐसा समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर रही है जो शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता और समान कार्यबल अवसरों के माध्यम से नारी शक्ति को सशक्त बनाने में मदद कर सके।

यह बातें केंद्रीय श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को कही। उन्होंने कहा, भारत में महिला कार्यबल भागीदारी दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिसकी तस्दीक पीएलएफएस के आंकड़ों से हो रही है। इससे पता चलता है कि महिलाओं की रोजगार दर (डब्ल्यूपीआर) 2017-18 में 22% से बढ़कर 2023-24 में 40.3% हो गई है, जबकि बेरोजगारी दर (यूआर) 2017-18 में 5.6% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गई है। यानि महिलाओं की रोजगार दर लगभग दोगुनी हो गई है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में महिला रोजगार में 96% की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि के दौरान शहरी क्षेत्रों में रोजगार दर में 43% की वृद्धि देखी गई है।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि महिला स्नातकों की रोजगार क्षमता भी 2013 के 42% से बढ़कर 2024 में 47.53% हो गई है। स्नातकोत्तर शिक्षा और उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त महिलाओं में रोजगार दर 2017-18 के 34.5% से बढ़कर 2023-24 में 40% हो गई है। भारत कौशल रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 2025 तक लगभग 55% भारतीय स्नातकों के वैश्विक स्तर पर रोजगार योग्य होने की उम्मीद है, जो 2024 में 51.2 % थी।

डॉ. मांडविया ने कहा, महिलाएं अब न केवल भागीदार हैं, बल्कि भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ भी हैं। आज, महिलाएं विकास की राह पर अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और मोदी सरकार एक समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जो शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता और समान कार्यबल अवसरों के माध्यम से नारी शक्ति को सशक्त बनाने में मदद करेगा। राष्ट्रीय स्तर पर महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए, 15 मंत्रालयों की 70 केंद्रीय योजनाएं और 400 से अधिक राज्य-स्तरीय योजनाएं चलाई जा रही हैं।

इसके अतिरिक्त, ईपीएफओ पेरोल डेटा औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को और उजागर करता है। पिछले सात वर्षों में, 1.56 करोड़ महिलाएं औपचारिक कार्यबल में शामिल हुई हैं। इस बीच, अगस्त तक ई-श्रम ने 16.69 करोड़ से अधिक महिला असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण दर्ज किया है, जिससे भारत सरकार की विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं तक महिलाओं की पहुंच सुगम हो गई है।

महिला स्व-रोजगार में 30% की वृद्धि
पीएलएफएस के आंकड़े दर्शाते हैं कि महिला स्व-रोजगार में 30% की वृद्धि हुई है। 2017-18 में 51.9% से बढ़कर 2023-24 में 67.4% हो गई है, जिससे महिलाएं वास्तव में आत्मनिर्भर बन रही हैं। आज 1.54 लाख से अधिक स्टार्टअप्स में से 74,410 में कम से कम एक महिला निदेशक हैं। आज लगभग दो करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं। नमो ड्रोन दीदी और दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत सतत प्रगति के लिए आवश्यक संसाधन और अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

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