
नई दिल्ली, 8 सितम्बर : राजधानी दिल्ली के एक दंपति ने अपने पांच माह के भ्रूण (समय से पूर्व जन्मे मृत बच्चे का शव) को एम्स दिल्ली को मेडिकल शिक्षा और शोध के लिए दान किया है। भ्रूण दान जैसे असाधारण कार्य को अंजाम देने वाले दंपति के साहस और जन कल्याण की भावना आज ना सिर्फ चर्चा का विषय बनी हुई है। बल्कि समाज को एक नई प्रेरणा भी दे रही है।
दरअसल, दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में रहने वाले आशीष और वंदना जैन को नियमित जांच के लिए 19 सितंबर को डॉक्टर के पास जाना था लेकिन वंदना की तबियत अचानक खराब होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना पड़ा। जांच के दौरान उन्हें बताया गया कि भ्रूण में कोई धड़कन नहीं है। डॉक्टर ने भ्रूण को हटाने की सलाह दी। पहले दवा से प्रयास किया गया, लेकिन जब कुछ असर नहीं हुआ, तो सर्जरी करनी पड़ी। यह भ्रूण जैन दंपति की दूसरी संतान था। इससे पहले उनके पास चार साल का बेटा है।
पेशे से व्यवसायी आशीष के मुताबिक मेरे पिता, सुरेश चंद जैन ने हमें देह दान के बारे में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने हमें दधीचि देह दान समिति से जोड़ा और हमें लगा कि हमारे बच्चे का अल्प जीवन भी किसी के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। इस दर्दनाक समय में हमने अपने बच्चे का जीवन अर्थपूर्ण बनाने का निर्णय लिया और उसे मेडिकल शिक्षा और शोध के लिए दान कर दिया।
एम्स के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख प्रो. सुभ्रत बसु राय ने कहा, ऐसे डोनेशन भविष्य के डॉक्टरों को सीखने और मानव जीवन की समझ बढ़ाने में मदद करते हैं। इस कदम ने मानवता और साहस की मिसाल पेश की है, जो कठिन समय में भी परिवारों को सही निर्णय लेने की प्रेरणा देता है। आशीष ने कहा, हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा होगा, लेकिन अगर हमारा बच्चा भविष्य में डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की मदद कर सकता है, तो कम से कम उसका धरती पर आना अर्थपूर्ण हुआ।
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