नई दिल्ली, 19 जुलाई : पर्याप्त अंतराल वाले गर्भधारण मातृ और शिशु स्वास्थ्य परिणामों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं। इससे जहां जच्चा और बच्चा के स्वास्थ्य के लिए जोखिम कम होता है। वहीं, महिलाओं और परिजनों को प्रजनन संबंधी विकल्प चुनने का अधिकार मिलता है। यह बातें केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने शुक्रवार को कहीं। वह, ‘गर्भावस्था के बीच स्वस्थ समय और अंतराल सुनिश्चित करने के लिए अंतिम लक्ष्य तक पहुंचना : मुद्दे और चुनौतियां’ विषय पर बोल रहीं थीं।
पटेल ने कहा कि सरकार हमेशा इन मुद्दों के प्रति सचेत रही है, जिनकी बानगी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) में उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की पहचान, एनीमिया मुक्त भारत अभियान और प्रसवोत्तर परिवार नियोजन कार्यक्रम (प्रसवोत्तर आईयूसीडी और गर्भपात के बाद आईयूसीडी) जैसी पहलों के रूप में देखी जा सकती है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रति एक लाख शिशु जन्म पर मातृ मृत्यु दर 130 से घटकर 97 हो गई है। इससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। यानि महिलाओं को सशक्त बनाए बिना भारत को विकसित बनाने का संकल्प पूरा नहीं हो सकता है।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए दो गर्भधारण के बीच उचित अंतराल बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि परिवार नियोजन सेवाओं के कम उपयोग और आधुनिक गर्भनिरोधकों की कम मांग वाले क्षेत्रों, जिलों और ब्लॉकों की पहचान की जाए ताकि उन्हें परिवार नियोजन सेवाओं में शामिल किया जा सके। यह सफल वांछित परिणाम प्राप्त करने का संभावित रोडमैप हो सकता है। इस अवसर पर अपर सचिव और एनएचएम निदेशक आराधना पटनायक, परिवार नियोजन संघ की प्रमुख डॉ कल्पना आप्टे, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, यूएनएफपीए इंडिया की डॉ सास्वती दास और अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान के डॉ चंद्रशेखर मौजूद रहे।