लिवर और मेटाबोलिक रोगों से निपटने के लिए साझा नेटवर्क बनाएंगे भारत-फ्रांस
-रक्षा क्षेत्र के बाद भारत और फ्रांस स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की दिशा में अग्रसर
नई दिल्ली, 4 जुलाई : लिवर और मेटाबोलिक विकारों के खिलाफ लड़ाई में भारत और फ्रांस सहयोग करेंगे। इस संबंध में भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) ने वीरवार को फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च (आईएनएसईआरएम) के संग न सिर्फ हाथ मिलाया। बल्कि लिवर और मेटाबोलिक रोग नेटवर्क के लिए इंडो-फ्रेंच नोड इनफ्लिमेन का नई दिल्ली में उद्घाटन भी किया।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ आईएनएसईआरएम के सीईओ डॉ. डिडिएर सैमुअल (वर्चुअल), डॉ. रिचर्ड मोरो, डीएसटी के सचिव प्रो. अभय करंदीकर और आईएलबीएस के चांसलर प्रो. एस.के. सरीन प्रमुख रूप से मौजूद रहे। इंडो-फ्रेंच नोड के तहत विभिन्न विषयों पर फोकस किया जाएगा जिनमें मेटाबोलिक या चयापचय रोगों के लिए नए बायोमार्कर और उपचार के साथ यकृत रोगों में संक्रमण का शीघ्र निदान खोजा जाएगा।
साथ ही नए पॉइंट-ऑफ-केयर परीक्षण, फेकल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण प्रोटोकॉल, यकृत रोगों के लिए सर्जरी, यकृत कैंसर और कैंसर के टीके, पशु मॉडल, जैव-कृत्रिम यकृत और अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और कंप्यूटर विज़न का अनुप्रयोग शामिल हैं।नोड का उद्देश्य लिवर और मेटाबोलिक रोगों के लिए अत्याधुनिक नैदानिक उपकरणों और उत्पादों में साझा दृष्टि और विशेषज्ञता विकसित करना है।
इसके अलावा दो साल में एक बार व्यक्तिगत बैठकें (भारत और फ्रांस के बीच बारी-बारी से), साल में चार बार आभासी बैठकें की जाएंगी। विनिमय कार्यक्रम के तहत दोनों देशों के वैज्ञानिक एवं छात्र एक दूसरे के देश में आ जा सकेंगे। इसके लिए फ्रांस सरकार से 35 लाख रुपये सालाना (तीन साल के लिए) अनुदान दिया जाएगा।
इनफ्लिमेन एक वर्चुअल अकादमिक नोड के रूप में काम करेगा, जो लिवर और मेटाबोलिक रोगों के लिए नए नैदानिक परीक्षण, उत्पाद और चिकित्सीय हस्तक्षेप विकसित करने के लिए भारतीय और फ्रांसीसी शोधकर्ताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। यह अपनी तरह का पहला प्रयास होगा जिसके तहत महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों के लिए लागत प्रभावी समाधान खोजने के लिए दोनों देशों के वैज्ञानिकों की संयुक्त विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाएगा।
क्या है मेटाबोलिक विकार?
मेटाबोलिक विकार ऐसी स्थितियों का समूह है जो एक साथ होती हैं, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इन स्थितियों में बढ़ा हुआ रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, कमर के आसपास अतिरिक्त शरीर की चर्बी और असामान्य कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड का स्तर शामिल है।