नई दिल्ली, 22 अगस्त : राजधानी दिल्ली में करीब 11 दिन से जारी डॉक्टरों की हड़ताल गुरुवार को खत्म हो गई। इसके साथ ही स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए केंद्रीय कानून की मांग को लेकर डॉक्टर संगठनों और केंद्र सरकार के बीच चला आ रहा गतिरोध लगभग समाप्त हो गया। उम्मीद है कि शुक्रवार से सभी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं फिर से बहाल हो जाएंगी।
जनहित में हड़ताल खत्म करने संबंधी पहल एम्स दिल्ली के आरडीए ने की जिसके बाद सभी सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) ने हड़ताल समाप्ति की घोषणा करनी शुरू कर दी। इसके बाद आरएमएल, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल एवं कलावती शरण बाल अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, हेडगेवार अस्पताल, दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल, इंदिरा गांधी अस्पताल, लोकनायक और जीबी पंत अस्पताल के आरडीए ने शुक्रवार सुबह से काम पर लौटने और स्वास्थ्य सेवाएं सुचारु करने से संबंधित पत्र अपने-अपने संस्थान प्रमुखों को सौंप दिए।
दरअसल, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी के दौरान महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी, बलात्कार और हत्या के विरोध में डॉक्टर पिछले 11 दिन की हड़ताल पर थे। वीरवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूर्ण ने डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने और वापस काम पर लौटने की अपील की। सीजेआई ने हड़ताल पर बैठे डॉक्टर को आश्वासन दिया कि अगर वो काम पर लौट आते हैं, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इसके बाद एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक्स पर एक पोस्ट करके कहा कि आरजी कर घटना में सुप्रीम कोर्ट की अपील और हस्तक्षेप तथा डॉक्टरों की सुरक्षा के आश्वासन के बाद हम काम पर लौट रहे हैं। हम कोर्ट के कदम की सराहना करते हैं और सभी आरडीए से उसके निर्देशों का पालन करने का आह्वान करते हैं। मरीजों की देखभाल हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस संबंध में विभिन्न डॉक्टर संगठन बीते 12 अगस्त से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान तमाम बड़े और छोटे सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद कर दीं गईं थी। हालांकि आपातकालीन सेवाओं को जारी रखा गया था।
करीब 11 लाख से ज्यादा मरीजों को नहीं मिला इलाज
डॉक्टरों की काम रोको हड़ताल के दौरान दिल्ली में रोजाना कम से कम एक लाख मरीज इलाज न मिलने के चलते बैरंग लौटने को मजबूर रहे। ग्यारह दिवसीय हड़ताल के दौरान नए ओपीडी कार्ड न बनने से जहां नए मरीजों को उपचार संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं, पुराने मरीजों (पहले से ओपीडी में पंजीकृत) को सर्जरी समेत रेडियोलॉजिकल और पैथोलॉजिकल लैब जांच से वंचित रहना पड़ा। इस अवधि में करीब 11 लाख मरीजों को इलाज नहीं मिल सका और करीब सात हजार मरीजों को सर्जरी की डेट मिलने के बावजूद तयशुदा सर्जरी की सुविधा नहीं मिल सकी।
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए बनी समिति
एम्स दिल्ली की प्रवक्ता डॉ रीमा दादा ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों और छात्र संघ के साथ रोजाना बैठकें हो रही हैं। डीन एकेडमिक की अध्यक्षता में डॉक्टरों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए 4 सदस्यीय समिति बनाई गई है। इसके अलावा 15 सदस्यीय समिति भी बनाई गई है, जो आंतरिक सहयोगात्मक सुरक्षा ऑडिट करेगी। यह समिति न केवल एम्स बल्कि एम्स के आउटरीच परिसरों, जैसे हमारे ग्रामीण स्वास्थ्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नशा मुक्ति केंद्र, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान का सुबह और रात में गहन निरीक्षण करेगी। निदेशक ने सभी डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि उनकी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। डॉक्टर ड्यूटी रूम में ताले लगे होंगे और वहां सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएंगे। इसलिए काम के दौरान इन सभी बातों का ध्यान रखा जाएगा।
भयानक हादसे के बाद डॉक्टर गए थे हड़ताल पर
एम्स अस्पताल आरडीए डॉक्टर इंद्र शेखर प्रसाद ने कहा कि 11 दिनों से चल रही हड़ताल समाप्त की जा रही है। हमारा हमेशा से एक ही उद्देश्य है ज्यादा से ज्यादा मरीजों की सेवा हो सके। हम ऐसे ही हड़ताल पर नहीं गए थे। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में यह बहुत भयानक हादसा था। इस हादसे ने हेल्थ केयर सिस्टम की खामियों को जगजाहिर किया। इसीलिए देश भर के डॉक्टर हड़ताल पर थे। हम देश के सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देना चाहते हैं, उन्होंने संज्ञान लेते हुए दिशा-निर्देश दिए। वीरवार से एम्स अस्पताल में हड़ताल खत्म की जा रही है। हम जैसे पहले ड्यूटी करते थे उसी तरह दोबारा अपनी ड्यूटी पर वापस लौटेंगे।