नई दिल्ली, 22 अगस्त : स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के बाबत प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए गठित नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) में रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सों को प्रतिनिधित्व देने की मांग बढ़ती जा रही है। इस संबंध में एम्स के नेशनल फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के साथ फोर्डा, फाइमा और एआईजीएनएफ ने अपनी अपनी दावेदारी पेश की है।
वीरवार को आल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन (एआईजीएनएफ) की अध्यक्ष अनिता पवार ने कहा कि एनटीएफ में वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ नर्सों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। क्योंकि ग्राउंड जीरो पर अराजकता उत्पन्न होने की स्थिति में सबसे पहला सामना नर्सों का ही होता है। उन्होंने एनटीएफ में नर्स प्रतिनिधि शामिल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। वहीं, एम्स के नेशनल फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने देश भर के सभी एम्स में विभिन्न रेजिडेंट डॉक्टरों की चिंताओं को उजागर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है।
उधर, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) ने आरजी कर मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राष्ट्रीय टास्क फोर्स को अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि वे अस्पताल में कार्य के दौरान नियमित तौर पर समस्याओं का अनुभव करते हैं। रेजिडेंट डॉक्टर ही वास्तविक समस्या और उसके समाधान ज्यादा बेहतर तरीके से सुझा सकते हैं।
वहीं, फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) ने कहा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टरों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे नियमित आधार पर वास्तविक समस्याओं का अनुभव करते हैं और इन समस्याओं का समाधान पेश कर सकते हैं। टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टरों की भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि सभी हितधारकों के साथ समग्र चर्चा के बाद व्यापक दिशा निर्देश तैयार किए जाएं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए 21 अगस्त को एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया था। यह फोर्स देश भर में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा स्थिति और सुरक्षा उपायों को लेकर अपनी सिफारिशें देगी।