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करीब 15 घंटे गुजरने के बावजूद कटा हुआ अंग जोड़ने में मिली सफलता

-शरीर का अंग कटने के छह से आठ घंटे का समय प्रत्यारोपण के लिए गोल्डन पीरियड

नई दिल्ली, 17 अक्तूबर: सफदरजंग अस्पताल के बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने एक शिक्षिका के दाएं हाथ की तर्जनी उंगली टूटने के करीब 15 घंटे गुजरने के बावजूद दोबारा जोड़ने में सफलता प्राप्त की है। अब महिला न सिर्फ अपनी उंगली को हिला डुला पा रही है। बल्कि उसकी उंगली की संवेदना भी लौट आई है।

दरअसल, मंडावली के एक निजी स्कूल में शिक्षिका रूपा गुप्ता (28 वर्ष ) बीते नौ अक्तूबर को अपने घर में अपने 4 साल के बच्चे को पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग रही थी कि उसका हाथ वॉशिंग मशीन के किनारे पर छू गया और फिसलकर चलती हुई मशीन में पहुंच गया। इससे उसकी दाहिनी तर्जनी उंगली बुरी तरह कुचल गई और टूट गई। उंगली केवल टेंडन से जुड़ी हुई थी। बीच की हड्डी में फ्रैक्चर था। घायल महिला रात 10 बजे अस्पताल पहुंची,जहां जांच और एक्स-रे के बाद उसे बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया गया। लेकिन किसी कारण से वह अस्पताल से चली गई और 10 अक्टूबर 2024 को सुबह 7 बजे इमरजेंसी में फिर से आई। वहां से उन्हें दोबारा प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया गया।

इस सर्जरी को संपन्न करने वाले प्लास्टिक सर्जन डॉ राजेश कैन ने बताया कि मरीज के कटे अंग को प्रत्यारोपित करने के लिए शुरुआती छह घंटे से आठ गोल्डन पीरियड होते हैं। इस अवधि के बाद अंग प्रत्यारोपण संभव नहीं हो पाता। लेकिन हमने तीन घंटे की सर्जरी के बाद महिला की उंगली, शिराओं व धमनियों को जोड़ने में सफलता प्राप्त की। अब महिला स्वस्थ है। वह अपनी उंगली हिलाने डुलाने के साथ संवेदना भी महसूस कर रही है। अगले दो तीन दिन बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। इस सर्जरी के दौरान डॉ शलभ कुमार, डॉ उपेंद्र शर्मा, डॉ ध्रुति, डॉ नूपुर, डॉ निकिता और डॉ मानसी भी मौजूद रहे।

कटे हुए अंग को अस्पताल तक सुरक्षित कैसे लाएं ?
डॉ राजेश कैन ने बताया कि शरीर का कोई भी अंग कटने के बाद उसे प्लास्टिक की दो थैलियों में रखकर अस्पताल तक लाएं। एक थैली में कटा हुआ अंग रखें और उसे बंद कर दें। दूसरी थैली में बर्फ के टुकड़े रखें और उन टुकड़ों के ऊपर कटे हुए अंग वाली थैली को रखें। बर्फ और कटा हुआ अंग एक दूसरे के सीधे संपर्क में नहीं आने चाहिए। अंग काटने के छह घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचे ताकि प्रत्यारोपण संभव हो सके।

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