Rohini court से गैंगरेप के मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों में हुई सेंधमारी, कोर्ट ने जारी किया नोटिस
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
आज हम एक ऐसे मामले का जिक्र कर रहे है, जो वाकई में चौकाने वाला है. इस पूरे मामले को जानने के बाद शायद आपका कानून से भरोसा ही उठ जाए. दरअसल पूरा मामला दिल्ली के रोहिणी कोर्ट से जुड़ा हुआ है, जहां रोहिणी कोर्ट में एक मामले में नयाधीश राजेंद्र कुमार की पीठ ने न्यायधीश के रीडर, अहलमद और पुलिस के खिलाफ दुष्कर्म से संबंधित कागजों की हेरा फेरी करने पर कोर्ट की अवहेलना का नोटिस जारी किया है.
दरअसल अधिवक्ता अभिजीत मिश्रा ने बताया कि जुलाई 2021 में राजस्थान की गंगानगर पुलिस टीम दिल्ली के बेगमपुर में आती है और यहां से उनकी क्लाइंट को 420 के आरोप में लेकर जाती है जिसका थाने में कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया जाता. बकौल अभिजीत मिश्रा उन पुलिसकर्मियों ने उनकी एक एक करके सामूहिक रूप से दुष्कर्म किया. इसके अलावा पुलिस ने उसके परिजनों को झूठे केस में फंसाने की धमकी भी दी. जैसे तैसे युवती वापस दिल्ली पहुंची, और सीआरपीसी की धारा 200 के तहत सीधे न्यायधीश के सामने अपने मामले को रखा. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें जांच की गई, और कई तथ्यों को देखने के बाद न्यायधीश आयुष शर्मा की पीठ ने गंगानगर पुलिस टीम के 4 कर्मियों को कोर्ट में पेश होने का नोटिस भेजा. सीआरपीसी की धारा 204 के तहत उन पुलिसकर्मियों को पेश होना था, लेकिन उन पुलिसकर्मियों ने पेश होने बजाए अलग अलग तरकीब निकालने शुरू कर दिए. बकौल अधिवक्ता अभिजीत मिश्रा इसी दौरान उन्हें पता चला कि सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोपियों की पेशी होने के बाद न्यायधीश द्वारा उन्हें कागज दिए जाते हैं, जो कि उन्हें पहले ही मिल गए. इस संगीन अपराध को देखते हुए न्यायधीश राजेंद्र कुमार ने बीते 27 अगस्त को न्यायधीश के रीडर, अलमद और उन पुलिसकर्मियों को जिनमें एसआई पवन कुमार, कॉन्स्टेबल वेद प्रकाश, सुदेश, यशवंत कुमार को कोर्ट की अवहेलना का नोटिस जारी किया गया है.
अधिवक्ता अभिजीत मिश्रा ने इस बाबत कहा कि जो कागज आरोपियों के पेश होने के बाद माननीय न्यायधीश द्वारा आरोपियों को दिया जाता है वो कागज उन आरोपियों के पास कैसे पहुंच गए यह सबसे बड़ा सवाल है. उन्होंने कहा कि यह सीधे तौर पर कागजों की चोरी है, जो यह दर्शाता है कि भविष्य में ऐसे लोग किसी आदेश को किसी सबूतों को भी बदल सकते हैं. ऐसे में सबसे बड़ी बात है कि कोई भी याचिकाकर्ता भविष्य में न्याय की उम्मीद कैसे लगाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि सिस्टम में बैठे ऐसे लोग भविष्य में ज्यादा खतरनाक भी साबित हो सकते हैं जो कि किसी गंभीर मामले में भी कोर्ट के ऑर्डर या फिर सबूतों की हेरा फेरी कर सकते हैं. साथ ही भविष्य में किसी गंभीर मामले में ऐसे लोग याचिकाकर्ता की जिंदगी के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं.
गौरतलब है कि जिस तरह से रोहिणी कोर्ट परिसर में सुरक्षा को सेंध लगाते हुए ये बड़ा मामला सामने आया है उसने न्यायव्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. इस मामले के बाद यह संकेत सामने आने लगे हैं कि भविष्य में न्याय का इंतजार कर रहा कोई भी याचिकाकर्ता आखिर कैसे न्याय की उम्मीद करेगा. इसके अलावा ऐसे में याचिकाकर्ता और उससे जुड़े गवाहों की जान पर भी बन सकती है जिसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा ? आपको बता दें कि इससे पहले भी रोहिणी कोर्ट में ब्लास्ट जैसी घटना, गोलीबारी की घटना जैसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसने कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े किए थे. ऐसे में इस मामले ने रोहिणी कोर्ट के सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.