Greater Noida: कमर्शियल प्रोजेक्ट में दुकान दिलाने के नाम पर 16.10 लाख की ठगी, बिल्डर पर केस दर्ज

Greater Noida: कमर्शियल प्रोजेक्ट में दुकान दिलाने के नाम पर 16.10 लाख की ठगी, बिल्डर पर केस दर्ज
नोएडा के ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित एनएक्स-वन डॉट कॉम कमर्शियल प्रोजेक्ट में निवेश के नाम पर बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। सूरजपुर कोतवाली पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर बिल्डर और संबंधित कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। गाजियाबाद निवासी शिकायतकर्ता सुहैल अख्तर सिद्दीकी और सुहेब अख्तर सिद्दीकी ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2014 में एसपी साई आईटी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य लोगों द्वारा टेक जोन-4 में स्थित एनएक्स-वन डॉट कॉम नामक कमर्शियल प्रोजेक्ट में दुकानों की बिक्री के लिए सार्वजनिक पेशकश की गई थी। बिल्डर की ओर से यह भरोसा दिलाया गया था कि तय समयसीमा के भीतर निर्माण पूरा कर भौतिक कब्जा दे दिया जाएगा और यह प्रोजेक्ट निवेश के लिहाज से बेहद लाभकारी होगा।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि बिल्डर के झांसे में आकर उन्होंने 1005 वर्गफुट क्षेत्रफल की एक कमर्शियल यूनिट बुक कराई, जिसकी बेसिक कीमत 50.26 लाख रुपये तय की गई थी। इसके बाद 2 मार्च 2017 को दोनों पक्षों के बीच अलॉटमेंट-कम-एग्रीमेंट किया गया। इस समझौते के तहत शिकायतकर्ताओं ने जुलाई 2014 से जुलाई 2017 के बीच अलग-अलग तारीखों में चेक, नकद और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के माध्यम से कुल 16.10 लाख रुपये से अधिक की राशि बिल्डर को अदा की। इस भुगतान के बदले बिल्डर की ओर से रसीदें भी जारी की गईं, जिससे निवेश पूरी तरह वैध प्रतीत हो रहा था।
एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से यह शर्त रखी गई थी कि यूनिट का भौतिक कब्जा 2 मार्च 2020 तक, ग्रेस पीरियड सहित, शिकायतकर्ताओं को सौंप दिया जाएगा। लेकिन निर्धारित समयसीमा बीत जाने के बावजूद आज तक न तो दुकान का कब्जा दिया गया और न ही निर्माण कार्य पूरा किया गया। आरोप है कि बिल्डर ने बिना किसी वैधानिक अनुमति के पूरे प्रोजेक्ट का लेआउट बदल दिया। जिस दुकान को शुरुआत में फ्रंट एरिया में दर्शाया गया था, उसे बाद में पीछे की ओर शिफ्ट कर दिया गया, जिससे निवेश की कीमत और उपयोगिता दोनों पर असर पड़ा।
शिकायतकर्ताओं ने यह भी बताया कि पिछले कई वर्षों से प्रोजेक्ट साइट की हालत बेहद खराब है। साइट पर गहरे गड्ढे बन चुके हैं, जिनमें बारिश का पानी भरा रहता है और किसी भी तरह का सक्रिय निर्माण कार्य नजर नहीं आता। जब शिकायतकर्ता कई बार साइट ऑफिस और बिल्डर के मुख्य कार्यालय पहुंचे और अपने पैसे या कब्जे की मांग की, तो वहां मौजूद बाउंसरों और स्टाफ ने उनके साथ अभद्रता की, गाली-गलौज की और मारपीट तक की। इससे साफ है कि बिल्डर की नीयत शुरू से ही संदिग्ध रही है और निवेशकों को जानबूझकर गुमराह किया गया।
इस पूरे मामले में सूरजपुर कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच की जा रही है। जांच के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अब यह भी पता लगाने में जुटी है कि इस प्रोजेक्ट में और कितने निवेशकों के साथ इसी तरह की धोखाधड़ी हुई है।





